आत्मनिर्भर भारत अभियान : दीनदयाल उपाध्याय के विचारों पर चल रही मोदी सरकार
दीनदयाल उपाध्याय का राजनीतिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक दर्शन भारतीयता के मूल से निकला हुआ दर्शन है, किन्तु वैचारिक मदभेदों के कारण देश में लंबे समय तक सत्ता में रहने वाली कांग्रेसनीत सरकारों ने उन विचारों की उपेक्षा की, जिसका दुष्परिणाम हम बढ़ते पूंजीवाद, व्यवस्थाओं के केन्द्रीकरण, आयात पर निर्भरता, असंतुलित औद्योगीकरण के रूप में देख सकते हैं।
अभिनव आर्थिक उपायों से देश की अर्थव्यवस्था को गति देने में जुटी सरकार
तरलता की समस्या सबसे पहले हल किए जाने का प्रयास हो रहा है ताकि देश की अर्थव्यवस्था, जो देश के नागरिकों को कोरोना महामारी से बचाने के उद्देश्य से किए गए लॉक डाउन के चलते, जाम हो गई है उसे तरलता की चिकनाई प्रदान कर अब पुनः चालू किया जा सके।
‘सरकार आमजन व अर्थव्यवस्था को बचाने में जुटी है और विपक्षी दल अपनी राजनीति चमकाने में’
कोरोना महामारी के संक्रमण के बढ़ते दायरे के साथ सरकार के प्रयासों और योजनाओं का भी दायरा बढ़ा है। मौजूदा आर्थिक, औद्योगिक और स्वास्थ्यगत संकट को देखते हुए केंद्र सहित राज्य सरकारें भी अपने स्तर पर अधिक से अधिक काम करने का प्रयास कर रही हैं।
आर्थिक पैकेज : आम आदमी और अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाने की पहल
कोरोना महामारी से उत्पन्न संकट से निपटने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा 12 मई को की जिसके बाद वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण लगातार दो दिन से इस पैकेज के प्रावधानों और आवंटनों की जानकारी दे रही है।
एमएसएमई क्षेत्र की मजबूती से निकलेगा आत्मनिर्भर भारत का रास्ता
कृषि क्षेत्र के बाद, एमएसएमई क्षेत्र में रोज़गार के सबसे अधिक अवसर निर्मित होते हैं। 73वें राष्ट्रीय सैम्पल सर्वेक्षण के अनुसार, देश में एमएसएमई क्षेत्र में 6.34 करोड़ इकाईयाँ कार्यरत थीं, ज़िनके माध्यम से 11.1 करोड़ व्यक्तियों (4.98 करोड़ ग्रामीण क्षेत्रों में एवं 6.12 करोड़ शहरी क्षेत्रों में) को रोज़गार उपलब्ध कराया जा रहा था।