आलोचना

हिंदी साहित्य के प्रथम और अंतिम आलोचक नहीं हैं नामवर सिंह : रामदेव शुक्ल

प्रख्यात कथाकार,आलोचक एवं दीनदयाल उपाध्याय विश्विद्द्यालय गोरखपुर के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. रामदेव शुक्ल से हुई बात-चीत का कुछ अंश: सवाल : नमस्कार। एक प्रसिद्ध कथाकार एवं उपन्यासकार के तौर पर साहित्य जगत में आपकी ख्याति रही है। गद्य लेखन की उपन्यास विधा को लेकर जब साहित्यकारों के बीच मतैक्य नहीं है ऐसे में लेखन की