राहुल गांधी बताएं कि सिद्धू के पाकिस्तान प्रेम से क्या कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व भी सहमत है?
करतारपुर कॉरिडोर के शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल होने के लिए भारत ने अपने प्रतिनिधि अधिकृत तौर पर भेजे थे। यह औपचारिक निर्णय था। लेकिन पंजाब के उपमुख्यमंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की पाकिस्तान यात्रा को मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह व कई मंत्रियों ने अनुचित माना था। ऐसे में बेहतर यह था कि सिद्धू वहां न जाते। पिछली यात्रा के दौरान सिद्धू के करतारपुर
क्या पाकिस्तान की भारत विरोधी बिसात का मोहरा बने सिद्धू?
कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू की पाकिस्तान यात्रा पर लग रहे कुछ कयास चौकाने वाले हैं। कहा जा रहा कि सिद्धू न कभी इमरान के स्तर के खिलाड़ी रहे, न ही वह उनके दोस्तों की फेहरिस्त में शुमार है, लेकिन इमरान ने उन्हें बुलाया तो ये यूँ ही नहीं है। इमरान को पता था कि सुनील गावस्कर, कपिल देव आदि निजी दोस्ती की जगह अपने राष्ट्रीय सम्मान को महत्व देंगे। इसके
सिद्धू की पाकिस्तान यात्रा का बचाव कर कांग्रेस शहीदों के अपमान के सिवा और क्या कर रही है?
सिद्धू का पाकिस्तान जाना और मणिशंकर अय्यर की कांग्रेस में वापसी एक ही समय पर हुई। इसी से कांग्रेस के वर्तमान वैचारिक आधार का अनुमान लगाया जा सकता है। अय्यर ने पाकिस्तान जाकर कभी जयचंद की याद ताजा कर दी थी। वहां उन्होंने कहा था कि नरेंद्र मोदी को हटाने के लिए आप ही कुछ करिए। अब सिद्धू पाकिस्तानी सेना प्रमुख को झप्पी देकर आए
भारत-पाक संबंधों की नई इबारत नहीं लिख सके इमरान !
पाकिस्तान की सियासत में इमरान खान की एंट्री से एक उम्मीद बंधी थी कि पड़ोसी मुल्क को अंतत: एक समझदार नेता मिल गया है। वो पाकिस्तान को आगे चलकर एक सशक्त नेतृत्व दे सकेंगे। वे भारत से संबंध सुधारने की दिशा में भी अहम कदम उठाएंगे। ये उम्मीद इसलिए बंधी थी, क्योंकि उन्होंने अपने क्रिकेट करियर के दौरान एक साफ-सुथरी पारी खेली थी। पर, इमऱान खान ने क्रिकेटर के रूप में जो सम्मान अर्जित