नाखून कटाकर शहीद बनने का नाटक कर रही हैं मायावती
“यदि मैं सदन में दलितों की बात नहीं उठा सकती तो मुझे सदन में रहने का अधिकार नहीं।” यह कहते हुए मायावती ने राज्य सभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उपर से देखने पर मायावती के इस्तीफे में बलिदान की भावना नजर आती है, लेकिन यदि इसका विश्लेषण किया जाए तो यह सियासी वजूद मिट जाने के भय से उठाया गया कदम नजर आएगा।