कश्मीर के राजनीतिक हल की बात करने वाले इस ‘राजनीतिक हल’ को क्यों नहीं पचा पा रहे?
कश्मीर में “कुछ बड़ा होने वाला है” के सस्पेंस से आखिर पर्दा उठ ही गया। राष्ट्रपति के एक हस्ताक्षर ने उस ऐतिहासिक भूल को सुधार दिया जिसके बहाने पाक सालों से वहां आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने में सफल होता रहा, लेकिन यह समझ से परे है कि कश्मीर के राजनैतिक दलों के महबूबा मुफ्ती, फ़ारूख़ अब्दुल्ला सरीखे नेता और कांग्रेस जो कल तक यह कहते थे कि कश्मीर समस्या का हल सैन्य कार्यवाही नहीं है बल्कि राजनैतिक है, वो मोदी सरकार के इस राजनीतक हल को क्यों नहीं पचा पा रहे हैं?
सेना पर सवाल उठाने वाले बताएं कि उन्हें पत्थरबाजों से इतना लगाव क्यों है ?
पत्थरबाज सेना के जवानों के साथ जिस तरह का बर्ताव कर रहे और जिस तरह उनके तार पाकिस्तान से जुड़े होने की बात सामने आ रही, उसके बाद यह कहना गलत नहीं है कि ये लोग किसी तरह के रहम के काबिल नहीं हैं। पाकिस्तान की शह पर आतंकियों की मदद करने वाले ये चाँद कश्मीरी पत्थरबाज देशद्रोही हैं, अतः इनके साथ कड़ाई से पेश आना ही समय की ज़रूरत है।