एमएसपी

किसानों के हित में हैं नए कृषि कानून, सवालों के घेरे में किसान आंदोलन

नये कृषि क़ानून से किसान एपीएमसी मंडी के बाहर भी अपनी उपज को वाजिब कीमत पर बेच सकेंगे और जरूरत पड़ने पर अपनी उपज का भंडारण भी कर सकेंगे।

कृषि क्षेत्र में बाजार अर्थव्‍यवस्‍था का आगाज करने वाले हैं नए कृषि कानून

मोदी सरकार नए कृषि कानूनों के जरिए फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने की दूरगामी योजना पर काम कर रही है ताकि कृषि जैव विविधता के विनाश, गेहूं-धान की एकफसली खेती, मिट्टी-पानी-हवा के प्रदूषित होने, भूजल संकट आदि से बचा जा सके। 

मुद्दाहीन विपक्ष की बौखलाहट का परिणाम है कृषि कानूनों का विरोध

कोरोना जैसी आपदा के समय में भी जिस तरह सरकार ने व्यवस्था को यथासंभव संभाले रखा है और जनता में विश्वास बना रहा है, उससे विपक्ष बुरी तरह से बौखलाया हुआ है।

एमएसपी वृद्धि : ये कोई राजनीतिक फैसला नहीं, किसानों के हित की दिशा में एक और कदम है !

मोदी सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मूल्य में 2018-19 सत्र के लिये बढ़ोतरी की घोषणा की है, जिससे किसानों को राहत मिलने की संभावना है। हालाँकि, विरोधी दल सरकार के इस निर्णय को एक राजनीतिक फैसले के रूप में देख रहे हैं, लेकिन उनके तर्क आधारहीन हैं, क्योंकि सरकार की इस घोषणा से देशभर के किसान लाभान्वित होंगे, जबकि इस साल के अंत

कांग्रेस की तरह मोदी सरकार की कृषि योजनाएं फाइलों तक नहीं सिमटीं, बल्कि जमीन पर पहुँच रही हैं!

अपने चुनावी वादे को पूरा करते हुए मोदी सरकार ने 14 खरीफ फसलों के न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (एमएसपी) में 180 रूपये से लेकर 1827 रूपये तक की भारी-भरकम बढ़ोत्‍तरी की है। राम तिल (नाइजर सीड) पर सबसे ज्‍यादा 1827 रूपये प्रति क्‍विंटल की बढ़ोत्तरी की गई है जबकि मूंग के एमएसपी में 1400 रूपये का इजाफा किया गया है।