कांग्रेस

इफ्तारी आयोजन धर्मनिरपेक्षता है तो मोदी का ‘जय श्रीराम’ कहना सांप्रदायिक कैसे हो गया, मिस्टर सेकुलर ?

यूपी चुनाव करीब है, जिसे देखकर तमाम राजनीतिक पार्टियॉं प्रधानमंत्री के लखनऊ में रावण-दहन के वक्त दिए गए उद्बोधन के राजनीतिक अर्थ निकाल रही हैं। राजनीतिक पार्टियों को यह भी ज्ञात होना चाहिए कि मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री है, जिन्होंने दशहरा में दिल्ली का किला छोड़कर लखनऊ के कार्यक्रम में हिस्सा लिया और अपने उद्बोधन में देश में व्याप्त कुरीतियों पर हमला किया। मोदी पर आज तक

कांग्रेस के ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ के फर्जी दावों की खुली पोल

उड़ी आतंकी हमले के बाद से देश बड़ी आशा की निगाह से सरकार पर ध्यान लगाए बैठा था कि सरकार जवानों की शाहदत बेकार नहीं जाने देगी।उसके बाद से सरकार की तरफ से जो बयान आये उससे लगने लगा था कि सरकार की रणनीति अब पाक को धुल चटाने की है साथ में डीजीएमओ ने

‘सर्जिकल स्ट्राइक’ पर सियासत से बाज आएं विपक्षी दल

देश में हो रहें पाक प्रायोजित आतंकी हमलों के विरुद्ध माहौल बनता हैं, और उसके कृत्यों का जवाब उसी की भाषा में सेना के पैरा कमांडो द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक के रूप में दिया जाता हैं। शुरुआती दौर में तो देश की सभी विपक्षी पार्टियां इस मुद्वे पर सहमत रहती हैं, उसके कुछ दिन बाद जिस तरह सेना के बाहुबल पर शक करते हुए सरकार और सेना से सबूत मांग रही हैं, यह साबित करता हैं कि देश में अपनी

राहुल के बोल से सवालों के घेरे में कांग्रेस

कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश की सेना से जुड़ा एक निंदनीय बयान दिया है। ऐसे समय में जब देश के लोग ही नहीं बल्कि दुनिया के तमाम लोकतांत्रिक एवं स्थिर देश भारत के समर्थन में हैं, राहुल गांधी ने ऐसी बहस को जन्म देने का काम किया है जिससे न सिर्फ सरकार बल्कि सेना का भी अपमान होता है। पता नहीं किन सन्दर्भों और प्रमाणों के आधार पर राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी

परिवारवादी पार्टियों का हश्र देखिये और समझिये कि भाजपा क्यों है पार्टी विद अ डिफरेंस!

उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी में अभी जो घमासान मचा हुआ है, उसको लेकर लोग भ्रम में हैं कि इसे राजनीतिक घमासान कहें या पारिवारिक। अब चूंकि, ये सब एक राजनीतिक दल में हो रहा है तो इसे राजनीतिक घमासान कह सकते हैं, लेकिन जब उस दल की हालत पर गौर करते हैं तो स्पष्ट हो जाता है कि ये तो पारिवारिक घमासान है। बाप-बेटा, चाचा-भतीजा, भाई-भाई यही सब तो हो रहा है अभी इस

यूपी चुनाव आते ही फिर बढ़-चढ़कर हिलोरें मारने लगा मुलायम का मुस्लिम प्रेम!

यूपी चुनाव में अब बहुत अधिक समय शेष नहीं है। अगले ही साल चुनाव होने हैं। अब चुनाव की आहट पाते ही यूपी की सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव का मुस्लिम प्रेम जो पहले भी बाहर आता रहा है, अब और सिर चढ़कर बोलने लगा है। अब अभी पिछले दिनों उन्होंने कार सेवकों पर गोली चलवाने वाले मामले पर कहा था कि अगर मस्जिद बचाने के लिए सोलह की बजाय तीस जानें जातीं तो भी

संघ के खिलाफ गांधी की हत्या को नहीं भुनाती तो खत्म हो जाती कांग्रेस!

गांधी ह्त्या से जुड़ा एक दूसरा पक्ष अगर देखें तो गांधी की मृत्यु से सबसे अधिक लाभ कांग्रेस को ही हुआ है। यदि इस प्रकार गांधी की ह्त्या न हुई होती तो कांग्रेस इतने दिनों तक लोकप्रिय नही रही होती। कांग्रेस की रीती-नीति से खफा होकर गांधी खुद कांग्रेस के विरोध में उतर आते। कुछ लोग तो यह भी बतलाते हैं कि गांधी जी एक दो दिन के भीतर कांग्रेस विसर्जित करने की घोषणा करने वाले थे। साथ ही यह भी अन्वेषणा

पटेल ने नेहरू से कहा था, गांधी की हत्या से संघ का कोई लेना-देना नहीं!

राहुल गांधी आये दिन अपनी नासमझी के कारण कांग्रेस को मुसीबत में डालते रहते हैं। यह उनके लिए कोई नयी बात नही है, बल्कि उनकी आदत में शुमार हो चुका है। राहुल गांधी की बातों से यह बिलकुल स्पष्ट हो जाता है कि उन्हें भारत के इतिहास की कोई ख़ास समझ नही है। वे केवल कुछ सुनी सुनाई बातो को बिना परखे तोते की तरह रट-रटकर बोलते रहते हैं। अपनी इसी नासमझी की वजह से राहुल गांधी को

मोदी विरोध से ग्रस्त विपक्ष को नहीं भा रही बलूचिस्तान नीति की कामयाबी!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के साथ ही….

सिर्फ खाटें नहीं लुटी हैं, उनके साथ कांग्रेस की बची-खुची साख भी लुट गई!

यह निर्विवाद तथ्य है कि कांग्रेस इस वक़्त अपने सबसे बुरे राजनीतिक दौर से गुजर रही है। देश से लेकर राज्यों तक हर जगह जनता द्वारा लगातार उसे खारिज होना पड़ा है। इन लगातार मिली विफलताओं से हताश कांग्रेस ने आगामी यूपी चुनाव के मद्देनज़र सफल चुनावी रणनीतिज्ञ माने जाने वाले प्रशांत किशोर की पीआर एजेंसी को यूपी में अपने प्रचार की जिम्मेदार सौंपी है। अब प्रशांत किशोर ने कांग्रेस को