काले धन के बाद अब बेनामी संपत्ति पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की तैयारी में सरकार
अच्छे दिन लाने के साथ सत्ता मे आई मोदी सरकार जनता के लिए अच्छे दिन ला रही है और भष्ट्राचारियों के लिए बुरे दिनों का आगाज कर चुकी है। सरकार के नोटबंदी के फैसले से कालेधन के जमाखोर जिस तरह छटपटा कर अपने नोटों को इधर-उधर ठिकाने लगा और नष्ट कर बचने की कोशिश कर रहे हैं, ठीक कुछ उसी तरह अब बेनामी सम्पत्ति के मालिक भी अपने–अपने नाम को भष्ट्रचारियों की सूची मे आने से
काले धन पर मोदी सरकार का एक और वार, शुरू हुई बेनामी संपत्तियों पर कार्रवाई की तैयारी!
नोटबंदी के बाद आम जनता की परेशानियों का बहाना बनाकर केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा किए जाने की तैयारियां तो विपक्ष द्वारा खूब की गईं, लेकिन सब विफल हो गया। जनता मजबूती के साथ इस कदम में देश और सरकार के साथ खड़ी है। नोटबंदी के बाद केंद्र सरकार द्वारा बेनाम संपत्ति वालों पर भी नकेल कसने की तैयारियां शुरू हो चुकी है। चूंकि, काले धन का बड़ा हिस्सा इस तरह की संपत्ति में लगाकर
खुली पाक कलाकारों के काले धन की पोल, स्टिंग ऑपरेशन में हुए बेनकाब!
भाजपानीत केंद्र सरकार द्वारा कालाधन पर रोक लगाने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए पांच सौ एवं एक हजार के नोट बंद किए जाने और नए नोट जारी किए जाने के बाद से ही कालाधन का मुद्दा एकबार फिर विमर्श और चर्चा के केंद्र में आ गया है। सरकार की तरफ से एवं आम चर्चा में भी यह बात सामने आती रही है कि कालाधन का नेटवर्क महज देश के अंदर ही नहीं, बल्कि सीमापार तक फैला हुआ है। हाल में ही
नोटबंदी : आम जन कर रहे सरकार का समर्थन, काला धन धारकों में मचा हड़कंप
आठ नवंबर की शाम को प्रधानमंत्री मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन में नोटबंदी के ऐतिहासिक फैसले के ऐलान से देश भर में हलचल मच गयी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब देश भर में 500 और 1000 के नोटों पर प्रतिबंध की घोषणा की तो काले धन की फसल उगाकर रखने वालो पर जैसे ओलों की बरसात हो गयी। जनता की खून-पसीनें की कमाई को अवैध और अनैतिक रूप से जमा करके बैठे ऐसे लोग अब मारे-मारे
राष्ट्र-निर्माण के आगे निजी सुख-दुःख का नहीं होता महत्व
राजनीति संभावनाओं का खेल है। राजनीति में न तो कोई किसी का स्थाई मित्र होता है, न शत्रु। यदि इस सिद्धांत को सत्य मान भी लिया जाय तो भी यह कहना अनुचित न होगा कि हर दल के अपने कुछ सिद्धांत, अपनी-अपनी मूल प्रकृति, अपने-अपने मतदाता-वर्ग होते हैं और ये सब एक दिनों में नहीं बनता, बल्कि वर्षों में उनकी अपनी एक पहचान और छवि बनती है। अगर विशिष्ट चाल-चरित्र-चेहरे की बात बेमानी भी हो तो
नोटबंदी : काला धन और नकली नोटों के कारोबार पर जोरदार चोट
मोदी सरकार के एकाएक पांच सौ और एक हजार के नोट बंद करने के ऐतिहासिक फैसले ने राजनीतिक हलकों में हलचल पैदा कर दी है। जहां एक ओर आम जनों द्वारा इसे काले धन पर अंकुश लगाने के लिए पीएम मोदी का की सर्जिकल स्ट्राइक माना जा रहा है, वहीं दूसरी ओर अधिकांश विपक्षी राजनीतिक दल सरकार के इस साहसिक फैसले पर राजनीति करते हुए नजर आ रहे हैं।
नोटबंदी के निर्णय से इतने हलकान क्यों हैं विपक्षी दल ?
मोदी सरकार द्वारा पांच सौ और हजार के नोट बंद करने के निर्णय को जहां एक तरफ भारी जन-समर्थन प्राप्त होता दिख रहा है। लोग थोड़ी-बहुत परेशानी उठाने के बावजूद भी इस निर्णय के प्रति सहमति जता रहे हैं। वहीँ दूसरी तरफ तमाम विपक्षी दल सरकार के इस निर्णय के बाद हलकान नज़र आ रहे हैं। इन दलों की समस्याओं को उनके वक्तव्यों व सरकार पर लगाए जा रहे उलूल-जुलूल आरोपों से समझा जा
काला धन और नकली नोटों पर लगाम लगाने की दिशा में मोदी सरकार का बड़ा कदम
मोदी सरकार द्वारा पांच सौ और हजार के नोट बंद करना काले धन और जाली नोटों पर लगाम लगाने की दिशा में सर्जिकल स्ट्राइक जैसा कदम है। देश में बढ़ते हुए काले धन पर लगाम लगाने की दिशा में मोदी सरकार का यह कदम सराहनीय कहा जा सकता है। काले धन को रोकने के अपने चुनावी वायदे की धुन पर काम कर रही केन्द्र सरकार ने जिस तरीके से हजार और पांच सौ के नोट को तत्काल प्रभाव से बन्द
काला धन धारकों पर मोदी सरकार का करारा वार
30 सितम्बर, 2016 की तारीख इतिहास में दर्ज हो चुकी है। इसी रोज भारतीय सेना के डीजीएमओ द्वारा प्रेस वार्ता करके यह सूचना दी गई कि सेना ने पाक के अवैध कब्जे वाले कश्मीर में जाके आतंकी कैम्पों पर सर्जिकल स्ट्राइक की गई है। देश सेना के इस सर्जिकल स्ट्राइक पर गर्वित हुआ, मगर तब उसे अंदाजा नहीं था कि इस तारीख के बाद ही एक और बहुत बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक की पटकथा तैयार हो रही थी।
मोदी सरकार के कदमों से लगा काले धन के प्रवाह पर अंकुश
लोकसभा चुनाव के दौरान ही नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया था कि सरकार बनने के बाद काला धन रखने वालों को बख्शा नहीं जायेगा, जैसे ही सरकार का गठन हुआ मोदी सरकार ने काला धन के मालिकों पर कार्रवाई शुरू कर दी जिसका असर अब व्यापक रूप से देखने को मिल रहा है। मोदी सरकार