कुमारस्वामी

कांग्रेस-जेडीएस सरकार जैसे बनी थी, उसका गिरना अवश्यंभावी था!

कांग्रेस और जेडीएस सरकार के गठन से पहले न्यूनतम साझा कार्यक्रम भी नहीं बनाया गया था। कर्नाटक में एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ी इन दोनों पार्टियों ने बिना किसी एजेंडे के सरकार बनाई थी। कर्नाटक में कांग्रेस व जेडीएस ने भाजपा को रोकने के नाम पर गठबन्धन किया था। इनके पास अन्य कोई कार्यक्रम नहीं था। ऐसी सरकार के गिरने में चौंकाने वाली कोई बात नहीं, इसका ये हश्र अवश्यंभावी था।

‘एजेंडा पहले ही नहीं था, अब संख्याबल भी नहीं रहा, फिर भी कुमारस्वामी से कुर्सी नहीं छूट रही’

कर्नाटक का सियासी घमासान राज्‍य के संचालन को कितना नुकसान पहुंचा रहा होगा, इस दिशा में कोई सोचने को तैयार नहीं है। हाथी निकल गया लेकिन पूंछ अटक गई है। पूरी कैबिनेट जा चुकी लेकिन कुमार स्‍वामी अभी भी बालहठ की तरह अपना पद पकड़े हुए हैं, मानो उनके सत्‍ता में बने रहने से रातोरात कोई चमत्‍कार हो जाएगा।

पांच साल की सरकार का दावा करने वाले कुमारस्वामी के डेढ़ महीने में ही आंसू क्यों निकल पड़े !

कर्नाटक में जिस गठबन्धन को लेकर डेढ़ महीने पहले बंगलुरू में अखिल भारतीय जश्न हुआ था, उसके लिए अब मुख्यमंत्री कुमारस्वामी आंसू बहा रहे हैं। वैसे उन्होंने यह नहीं बताया कि वह ऐसी विषभरी स्थिति से कब बाहर निकलेंगे। लेकिन इतना तय हुआ कि यह गठबन्धन नैतिक आधार पर विफल हो चुका है।

कर्नाटक : गठबंधन हुआ नहीं कि घमासान भी शुरू हो गया !

कर्नाटक सरकार का सत्ता के अंगना में प्रवेश क्लेश के साथ हुआ। गठबन्धन की मेंहदी लगने के साथ ही कांग्रेस ने अपना रंग दिखा दिया। उपमुख्यमंत्री परमेश्वर ने कहा कि अभी पांच वर्ष सरकार चलाने की गारंटी नहीं दी गई है। इसके पहले मुख्यमंत्री कुमारस्वामी  ने विश्वास व्यक्त किया था कि सरकार कार्यकाल पूरा करेगी। उपमुख्यमंत्री का बयान इसी की प्रतिक्रिया में आया