कोरोना से लड़ने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को भी गतिशील रखने की कवायदों में जुटी सरकार
कोरोना महामारी की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था एक अभूतपूर्व संकट के दौर से गुजर रही है, हालाँकि, भारतीय अर्थव्यवस्था को इस संकट से यथासंभव बचाने की कोशिश सरकार द्वारा लगातार की जा रही है। इसके लिए कई कदम उठाए हैं और आगे भी उठाए जाने की उम्मीद है। सरकार ने विगत दिनों वंचित तबके के लोगों, मजदूरों और कामगारों को राहत देने के लिये 1.75 लाख करोड़ रूपये के पैकेज का ऐलान किया था, जिसकी एक बड़ी राशि का वितरण लाभार्थियों के बीच किया जा चुका है
कोरोना संकट में अपने सधे हुए क़दमों से स्थिति को नियंत्रित रखने में कामयाब योगी सरकार
कोरोना वायरस की महामारी की जकड़ में देश व दुनिया का हर आम व खास है। शहरी क्षेत्रों में संक्रमण के हॉटस्पॉट को नियंत्रित करना राज्यों के लिए बड़ी चुनौती है। ऐसे में उत्तर प्रदेश के लिए यह चुनौती बढ़ जाती है क्योंकि यहां जिलों की संख्या और आबादी अन्य राज्यों की तुलना में अधिक है।
शिवराज की सक्रियता से एमपी में कोरोना संक्रमण को नियंत्रित रखने में प्रभावी रहा है लॉकडाउन
कोरोना महामारी से जीतने के लिए सबसे महत्वपूर्ण और प्राथमिक उपाय है- लॉकडाउन। कोरोना संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ने के साथ ही कोरोना संक्रमितों की पहचान करने में भी लॉकडाउन प्रभावी है। आज मध्यप्रदेश में स्थितियां नियंत्रण में दिख रही हैं, तो वह इसलिए कि सरकार ने लॉकडाउन का पालन ठीक से कराया।
कोरोना संकट के दौर में मोदी सरकार की जैम योजना से गरीबों तक आसानी से पहुँच रही मदद
भारत एक विशाल देश है, जिसकी आबादी 130 करोड़ से भी अधिक है। कोरोना वायरस महामारी के चलते देश में 80 करोड़ लोगों को सहायता की राशि पहुँचाना कोई आसान कार्य नहीं था। परंतु, मोदी सरकार द्वारा अत्यंत सफलता पूर्वक लागू की गई जनधन-आधार-मोबाइल (JAM) योजना के प्रभावी रूप से किए गए उपयोग ने इसे बहुत हद तक आसान बना दिया।
कोरोना काल में भी राष्ट्र सेवा की अपनी परंपरा को लेकर आगे बढ़ता संघ
देखा जाए तो संघ का ये इतिहास ही रहा है कि देश पर जब भी कोई बड़ी आपदा आई है, संघ के स्वयंसेवक उससे निपटने के लिए कृतसंकल्पित भाव से जुट गए हैं। फिर चाहें वो स्वतंत्रता के पश्चात् पाकिस्तान में हुए दमन से पलायन कर भारत आने वाले हिन्दुओं को आश्रय-भोजन देना हो या फिर 1962 और 1965 के युद्धों में प्रशासन के साथ मिलकर सैनिकों के लिए रसद आदि
कोरोना, संवेदना और शिवराज : राजसत्ता को सामाजिक सरोकारों से जोड़ने की हो रही पहल
मनुष्यों की तरह सरकारों का भी भाग्य होता है। कई बार सरकारें आती हैं और सुगमता से किसी बड़ी चुनौती और संकट का सामना किए बिना अपना कार्यकाल पूरा करती हैं। कई बार ऐसा होता है कि उनके हिस्से तमाम दैवी आपदाएं, प्राकृतिक झंझावात और संकट होते हैं। इस बार सत्तारुढ़ होते ही मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ऐसे ही संकटों से दो-चार हैं।
लॉकडाउन के बावजूद सप्लाई चेन को मज़बूत रखने में सफल रही है मोदी सरकार
पूरे विश्व में फैली कोरोना वायरस की महामारी के कारण भारत में इस महामारी को रोकने के उद्देश्य से पहले इक्कीस दिन और फिर उन्नीस दिन का लॉकडाउन लागू किया गया है जिसके चलते देश भर की अधिकतर उत्पादन इकाईयाँ बंद कर दी गईं एवं आर्थिक गतिविधियों सहित विभिन्न अन्य सामान्य प्रकार की गतिविधियों को भी रोक दिया गया।
संघ प्रमुख के उद्बोधन के निहितार्थ बहुत गहरे हैं
देश में कभी भी कोई बड़ा मामला आता है अथवा कोई विमर्श खड़ा होता है, तो देश का एक बड़ा तबका यह जानने के लिए उत्सुक रहता है कि इस विषय पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की क्या राय है। आज भी यह प्रश्न उठ रहा है कि मौजूदा कोरोना के महासंकट से बाहर आने एवं वर्तमान में कोरोना वायरस से उपजी चुनौतियों से निपटने की दिशा में आरएसएस किस भूमिका का निर्वहन कर रहा है?
संघ की संकल्पना : ‘सेवा उपकार नहीं, करणीय कार्य है’
देश के किसी भी हिस्से में, जब भी आपदा की स्थितियां बनती हैं, तब राहत/सेवा कार्यों में राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ के कार्यकर्ता बंधु अग्रिम पंक्ति में दिखाई देते हैं। चरखी दादरी विमान दुर्घटना, गुजरात भूकंप, ओडिसा चक्रवात, केदारनाथ चक्रवात, केरल बाढ़ या अन्य आपात स्थितियों में संघ के स्वयंसेवकों ने पूर्ण समर्पण से राहत कार्यों में अग्रणी रहकर महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया।
कोरोना संकट : डॉ. मोहन भागवत ने अपने संबोधन में दिखाई नई राहें
कोरोना संकट से विश्व मानवता के सामने उपस्थित गंभीर चुनौतियों को लेकर दुनिया भर के विचारक जहां अपनी राय रख रहे हैं, वहीं दुनिया के सबसे बड़े सांस्कृतिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत के संवाद ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है।