सिर्फ खाटें नहीं लुटी हैं, उनके साथ कांग्रेस की बची-खुची साख भी लुट गई!
यह निर्विवाद तथ्य है कि कांग्रेस इस वक़्त अपने सबसे बुरे राजनीतिक दौर से गुजर रही है। देश से लेकर राज्यों तक हर जगह जनता द्वारा लगातार उसे खारिज होना पड़ा है। इन लगातार मिली विफलताओं से हताश कांग्रेस ने आगामी यूपी चुनाव के मद्देनज़र सफल चुनावी रणनीतिज्ञ माने जाने वाले प्रशांत किशोर की पीआर एजेंसी को यूपी में अपने प्रचार की जिम्मेदार सौंपी है। अब प्रशांत किशोर ने कांग्रेस को
यूपी चुनाव कांग्रेस लड़ रही है या प्रशांत किशोर लड़ रहे हैं ?
राजनीति में हार-जीत स्थायी नहीं होती है। यह एक क्रम है जो कभी इस पाले तो कभी उस पाले के अनुकूल होता है। आजादी के बाद नेहरु से शुरू हुई कांग्रेस इंदिरा गांधी से होते हुए राजीव, सोनिया और राहुल गांधी तक पहुंची है। इस दरम्यान लगभग पांच दशकों तक कांग्रेस सत्ता में रही है, जिसमें लगभग तीन दशक से ज्यादा सत्ता के शीर्ष पर नेहरु का परिवार रहा है। अब केंद्र की सत्ता बेशक कांग्रेस के पास नहीं है,