जयंती विशेष : गांधी कल भी प्रासंगिक थे, आज भी हैं और आगे भी रहेंगे
जहाँ तक गाँधी की प्रासंगिकता का सवाल है तो उसके बरक्स अपनी ओर से कुछ कहने के बजाय कतिपय प्रसंगों-संदर्भों-आँकड़ों-घटनाओं-वक्तव्यों को जानना-समझना रोचक एवं सुखद रहेगा।
गांधी के स्वच्छ भारत के सपने को पूरा कर रहे मोदी
महात्मा गांधी का कहना था कि राजनीतिक स्वतंत्रता से ज्यादा जरूरी है स्वच्छता। स्वच्छता को सुनिश्चित करके ही हम स्वस्थ रह सकते हैं और एक सशक्त देश का निर्माण करने में समर्थ हो सकते हैं। स्वच्छता से ग्रामीण भारत को भी मजबूत बनाया जा सकता है। नदियों एवं पर्यावरण को स्वच्छ बनाकर हम नई पीढ़ी को जीवनदान दे सकते हैं।
वर्तमान दौर में भी अत्यंत प्रासंगिक हैं गांधी और शास्त्री के विचार
२ अक्तूबर की तारीख भारतीय स्वतंत्रता इतिहास की दो महान विभूतियों का जन्मदिवस लेकर आती है। जहाँ पहली विभूति हैं भारत समेत पूरी दुनिया को अहिंसा और सत्य का पाठ पढ़ाने वाले मोहनदास करमचंद गाँधी तो वहीँ दूसरी विभूति हैं स्वाभिमान और सादगी की जीवंत मूर्ति लाल बहादुर शास्त्री। ये कहने की आवश्यकता नही कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में इन दोनों ही महापुरुषों का योगदान अकथनीय तथा
महात्मा गांधी ने कहा था, ‘जितने धर्मों को मैं जानता हूँ, उनमें हिंदुत्व ही सर्वश्रेष्ठ धर्म है’
आज जब राष्ट्रवाद और हिंदुत्व को लेकर बेमानी बहस होती है, ऐसे समय में हमारे लिए इन विषयों पर राष्ट्रपिता गांधीजी के विचारों को जानना भी जरूरी हो जाता है। आज अगर कोई हिंदुत्व या राष्ट्रवाद की बात करता है, तो उसे एक ख़ास विचारधारा से जुड़ा हुआ मानकर नीचा दिखाने का प्रयत्न किया जाने लगता है। लेकिन देखा जाए तो महात्मा गांधी राष्ट्रवाद और अपनी धार्मिक
सफलता की ओर स्वच्छ भारत अभियान, स्वच्छता के प्रति बढ़ रही जन-जागरूकता
2 अक्टूबर यानी गाँधी जयंती के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना “स्वच्छ भारत अभियान” ने अपनी सफलता के दो वर्ष पूरे कर लिए। जैसा कि हमें पता है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने “स्वच्छ भारत” का सपना देखा था, जो अब तक अधूरा है, इसे पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री ने इस योजना को शुरू किया था। गौरतलब है कि जबसे मोदी सरकार सत्ता में आई है, एक के बाद एक ऐसी योजनाओं का