मोदी राज में बढ़ रही गांधी के खादी की लोकप्रियता
महात्मा गांधी ने कुटीर उद्योग के माध्यम से देश की आर्थिक समृद्धि का जो सपना देखा था, उसे पूरा करने के लिये केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) के अधीनस्थ खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग एवं अन्य माध्यमों से लगातार प्रयास कर रहा है। आयोग गर्मियों के लिए सिली-सिलाई कुर्तियां, कमीजें, सलवार-कमीज, कुर्ता-पायजामा, साड़ियाँ तथा सर्दियों के लिए
लोगों में स्वच्छता की ‘आदत’ विकसित करना है मोदी सरकार का मुख्य लक्ष्य
केंद्र सरकार स्वच्छता को सिर्फ़ साफ़-सफ़ाई रखने के भौतिक उपादानों तक सीमित न कर के लोगों में इसे एक आदत के रूप में विकसित करना चाहती है। सरकार का सबसे बड़ा उद्देश्य लोगों को साफ़-सफ़ाई के बारे में जागरूक कर उसे लोगों के जीवन में उतारने का है, जिसके लिए प्रधानमंत्री लगातार प्रयासरत हैं। सरकार
अमित शाह ने ‘चतुर बनिया’ वाले बयान के जरिये कांग्रेस की दुखती रग पर ऊँगली रख दी है !
अमित शाह के ‘चतुर बनिया’ वाले बयान के बाद कांग्रेस की प्रतिक्रिया बिलकुल स्वाभाविक हैं। देश के पहले प्रधानमंत्री से लेकर आज तक कांग्रेस ही ज़्यादातर सत्ता पर काबिज़ रही है और कांग्रेस के शीर्ष पर नेहरू-गांधी परिवार का ही दबदबा रहा है। गांधी को ये अंदेशा था, इसीलिए वो कांग्रेस को भंग करने की बात कहे थे। मगर, कांग्रेस ने उनकी इस इच्छा का तो सम्मान नहीं किया, बल्कि उनके
सावरकर के समग्र मूल्यांकन की दरकार
रविवार को विनायक दामोदकर सावरकर की इक्यावनवीं पुण्यतिथि थी । इस देश में हिंदुत्व शब्द को देश की भौगोलिकता से जोड़नेवाले इस शख्स की विचारधारा पर वस्तुनिष्ठ ढंग से अब तक काम नहीं हुआ है । सावरकर की विचारधारा को एम एस गोलवलकर और के बी हेडगेवार की विचारधार और मंतव्यों से जोड़कर उनकी एक ऐसी छवि गढ़ दी गई है जो दरअसल उनके विचारों से मेल नहीं खाती है ।
पटेल ने नेहरू से कहा था, गांधी की हत्या से संघ का कोई लेना-देना नहीं!
राहुल गांधी आये दिन अपनी नासमझी के कारण कांग्रेस को मुसीबत में डालते रहते हैं। यह उनके लिए कोई नयी बात नही है, बल्कि उनकी आदत में शुमार हो चुका है। राहुल गांधी की बातों से यह बिलकुल स्पष्ट हो जाता है कि उन्हें भारत के इतिहास की कोई ख़ास समझ नही है। वे केवल कुछ सुनी सुनाई बातो को बिना परखे तोते की तरह रट-रटकर बोलते रहते हैं। अपनी इसी नासमझी की वजह से राहुल गांधी को
संघ पर आरोप लगाने से हुई राहुल गाँधी की किरकिरी, सबक लें संघ विरोधी!
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को दोषी ठहराने वाले अपने एक बयान के मामले में जिस तरह अदालत में यू-टर्न लिया और पुनः ट्वीट के जरिए अपने पुराने बयान पर टिके रहने की बात दोहराते हुए डबल यू-टर्न लिया है, यह उनके कमजोर व्यक्तित्व, सुझबुझ की कमी और राजनीतिक नादानी को ही निरुपित करता है। उल्लेखनीय है कि राहुल गांधी ने 2014 में एक चुनावी जनसभा में गांधी जी की हत्या के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को जिम्मेदार ठहराया था। इससे नाराज संघ के एक
देश की आज़ादी में दिल्ली के गांवों का भी रहा है महत्वपूर्ण योगदान!
देश की आजादी के आंदोलन में दिल्ली के गांवों की भागीदारी का सिरा सन् 1857 में हुए पहले स्वतंत्रता संग्राम तक जाता है जब चंद्रावल, अलीपुर सहित राजधानी के अनेक अधिक गांवों के निवासियों ने विदेशी शासन के खिलाफ विद्रोह का बिगुल बजा दिया था। अंग्रेजों ने इस पहले भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दमन और दिल्ली पर दोबारा कब्जा करने के बाद इसमें हिस्सा लेने वाले क्रांतिकारियों को बहुत ही कठोरता से कुचला।
संघ के खिलाफ मिली अदालती हार के बाद राहुल गांधी ने बोला दूसरा झूठ!
महात्मा गांधी की हत्या के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को जिम्मेदार ठहराने के अपने बयान पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी अपनी स्थिति तय नहीं कर पा रहे हैं। एक तरफ, सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने हलफनामे में राहुल गांधी ने दावा किया है कि उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को एक संगठन के तौर पर कभी भी जिम्मेदार नहीं बताया है। उन्होंने संघ से जुड़े कुछ लोगों पर महात्मा गांधी की हत्या करने का आरोप लगाया था। व