तमाम कोशिशों के बावजूद क़ानून के चंगुल से नहीं छूट सके चिदंबरम, भेजे गए तिहाड़
आखिरकार पी. चिदंबरम जेल की सींखचों के पीछे पहुँच ही गए। गुरुवार शाम को चिदंबरम को 14 दिनों के लिए जेल भेज दिया गया। चिदंबरम वित्त मंत्री के साथ ही देश के गृहमंत्री भी रहे हैं। गृहमंत्री होने के नाते वे देश की केन्द्रीय जेल व्यवस्था के एक तरह से मुखिया रह चुके हैं और अब इस शक्तिशाली ओहदे से इतर वे इन्हीं जेलों में एक कैदी के तौर पर रहेंगे। जब वे गृहमंत्री थे तब
चिदंबरम का क़ानून के शिकंजे में होना भारतीय लोकतंत्र की ताकत को ही दिखाता है!
कहते हैं कि समय बड़ा बलवान होता है। इस कहावत को वैसे तो कई बार साकार होते देखा गया है लेकिन देश की राजनीति में यह कहावत अब नए संदर्भों के साथ फिर सिद्ध हुई है। एक ओहदे के नाते कभी सीबीआई के बॉस रहे चिदंबरम अब सीबीआई की हिरासत में हैं।
कांग्रेस को समझना चाहिए कि अपने नेता के साथ खड़े होने और उसे ‘क्लीन चिट’ देने में फर्क है
चिदंबरम दोषी हैं या नहीं, ये फैसला तो न्यायालय करेगा लेकिन खुद एक वकील होने के बावजूद उनका खुद को बचाने के लिए कानून से भागने की कोशिश करना, सीबीआई के लिए अपने घर का दरवाजा नहीं खोलना, समझ से परे है। लेकिन अब जब आखिर लगभग 19 महीनों की जद्दोजहद के बाद सीबीआई चिदंबरम के लिए कोर्ट से पाँच दिन की
चिदंबरम की गिरफ्तारी पर कांग्रेस की बौखलाहट का असली कारण उसका डर है
कांग्रेस राज में चिदंबरम प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बाद बड़ा रुतबा रखते थे। वित्त और गृह जैसे मंत्रालय उनके पास रहे थे। मगर इसका यह अर्थ नहीं कि भ्रष्टाचार के मामलों में उन्हें कोई रियायत दी जाए। आईएनएक्स मीडिया घोटाला मामले में अब उन्हें हिरासत में लिया गया है तो पूरी कांग्रेस के अन्दर बौखलाहट नजर आ रही है।
घोटालों में घिरे चिदंबरम परिवार पर बढ़ रहा क़ानून का शिकंजा
पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम पर सीबीआई जांच ने शिकंजा कसा है। हजारों करोड़ के सारधा चिटफंट घोटाले में शुक्रवार को उनके खिलाफ 24 परगना की एक जिला न्यायालय में चार्जशीट दायर हो चुकी है।
मोदी की हत्या की माओवादी साजिश पर किस मुंह से तंज कर रहे हैं, पी चिदंबरम !
पुणे पुलिस ने सात जून को एक अदालत में खुलासा किया कि प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) के लोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हत्या की साजिश रच रहे हैं, ये प्लानिंग पिछले साल भर से की जा रही है। पुलिस का दावा है कि माओवादी नरेन्द्र मोदी की जन सभाओं और रोड शो को निशाना बना सकते हैं, ठीक उसी तरह जैसे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को निशाना बनाया गया था।
जिन चिदंबरम को कभी ‘सबसे भ्रष्ट’ कहा था, अब उन्हीसे अपनी पैरवी करवाएंगे केजरीवाल !
ज्यादा पुरानी बात नहीं है, जब केजरीवाल ने 2014 के चुनावों के दौरान ‘सबसे-भ्रष्ट-नेताओं’ की एक सूची जारी की थी, जिसमें चिदंबरम का नाम भी शामिल था। अब 2017 में उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच शक्ति के बंटवारे को लेकर सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ के समक्ष दायर मुकदमे की सुनवाई में दिल्ली सरकार का पक्ष रखने के लिए केजरीवाल ने पी. चिदंबरम को चुना है। पी. चिदंबरम उस कानूनी टीम