राफेल के जरिये भारत-फ़्रांस का संयुक्त सामरिक संदेश
पिछले दिनों राफेल लड़ाकू विमान विधिवत भारतीय वायु सेना में शामिल किए गए। कोई अन्य अवसर होता तो शायद इसका सन्देश इतना व्यापक नहीं होता।
‘कांग्रेस तेजी से जिस रास्ते पर बढ़ रही है, वो पतन के अलावा और कहीं नहीं जाता’
कांग्रेस के अंदर नेतृत्व के प्रति असंतोष और निराशा का भाव बढ़ रहा है, लेकिन इस परिवारवाद की पट्टी आँखों पर बांधे पार्टी इस बात की अनदेखी करने में लगी है।
चीन की मनमानी हरकतों पर लगाम लगाएगा क्वाड, भारत भी है शामिल
चीन के आक्रामक रवैये के खिलाफ अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच ‘क्वैड’ (क्वाड्रिलेटरल सिक्योरिटी डायलाग) नाम का गठबंधन ठोस आकार लेने लगा है।
लगातार मजबूत हो रहे भारत-अमेरिका आर्थिक संबंध
हाल के समय में भारत और अमेरिका के बीच आपस में व्यापार और निवेश के सम्बंध मज़बूत होते जा रहे हैं। विशेष तौर पर विदेशी व्यापार के क्षेत्र में अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा साझीदार बन गया है।
कोरोना काल में तो कम से कम अपनी नफरत की राजनीति छोड़ें ममता बनर्जी
पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी की सरकार एकमात्र ऐसी सरकार है, जिसने कोरोना काल में अपनी राजनीति को सर्वोपरि रखा और जनता को उसके हाल पर छोड़ दिया।
लॉकडाउन में श्रमिकों को घर पहुंचाकर रेलवे ने साबित किया कि वाकई में वो देश की जीवनरेखा है
भारत सरकार के प्रयासों और रेलवे के सक्रियतापूर्ण और समर्पण के साथ किए गए कार्यों ने लॉकडाउन के दौरान श्रमिकों की कठिनाइयों को आसान करने में बड़ी भूमिका निभाई है।
राजस्थान : कांग्रेस की आपसी कलह का भांडा भाजपा के सिर क्यों फोड़ा जा रहा ?
कांग्रेस की इस स्थिति के लिए पूरी तरह से कांग्रेस ही ज़िम्मेदार है, तिसपर पार्टी के बहुत से लोगों को अब भी गाँधी परिवार के परे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा।
भारत-चीन तनाव के बीच एकबार फिर उजागर हुआ वामपंथियों का चीनपरस्त चेहरा
1962 में चीन के आक्रमण के समय वामपंथियों ने खुलेआम चीन का साथ दिया और बीजिंग नजदीक, दिल्ली दूर का नारा लगाया। यह उनका असली चेहरा था।
चीन तो पीछे हट गया, कांग्रेस राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर सतही राजनीति करने से कब पीछे हटेगी?
भारत-चीन के बीच सीमा पर चल रहा गतिरोध चीन के पीछे हटने के साथ समाप्त हो चुका है और डोकलाम प्रकरण के बाद एकबार फिर साबित हो गया है कि ये नए दौर का भारत है, जो अपनी राष्ट्रीय अखंडता से कोई समझौता नहीं करेगा।
कोरोना काल में भी वैश्विक वित्तीय संस्थानों के भारतीय अर्थव्यवस्था पर भरोसे की वजह क्या है?
वैश्विक स्तर पर कई वित्तीय संस्थानों जैसे विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष आदि ने वैश्विक अर्थव्यवस्था एवं विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर कोरोना महामारी के कारण होने वाले सम्भावित प्रभाव का आँकलन करने का प्रयास किया है।