जंगलराज

ममता के जंगलराज में जलता बंगाल

दुखद किन्तु सत्य यही है कि बंगाल में इन दिनों जंगलराज चल रहा है और ममता बनर्जी ने बंगाल को देश का सबसे बुरा राज्य में बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है।

लोकलुभावन चुनावी वादे करने वाले तेजस्‍वी यादव अतीत को भुला बैठे हैं

नीतीश कुमार के शासनकाल को जंगलराज करार देते हुए राष्‍ट्रीय जनता दल के नेता और पूर्व उप मुख्‍यमंत्री तेजस्‍वी यादव चुनावी वादों की बरसात कर रहे हैं। 

‘बिहार में का बा’ बनाम ‘बिहार में ई बा’ की पड़ताल

बिहार चुनाव में एक तरफ जहां नीतीश कुमार की विकास पुरुष वाली छवि है, वहीं दूसरी तरफ लालू राज को जनता आज भी भूलने को तैयार नहीं है।

‘बिहार अब लालू के लालटेन युग के अंधेरे से निकलकर एनडीए के विकास की रोशनी में चल रहा है’

बिहार अब लालू प्रसाद यादव एवं जनता दल के लालटेन युग वाले अंधेरे से बाहर निकल चुका है और नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की रोशनी में चल रहा है।

बिहार : लालू के जंगलराज से नीतीश के सुशासन तक

बिहार अपनी बौद्धिक-साहित्यिक-सांस्कृतिक सक्रियता एवं सजगता के लिए जाना जाता रहा है। परंतु लालू का शासन वह दौर था, जब जातीय घृणा की फसल को भरपूर बोया गया।

लालू-राबड़ी शासनकाल के किन-किन गुनाहों के लिए माफी मांगेंगे तेजस्‍वी यादव!

इन दिनों बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और लालू-राबड़ी यादव के पुत्र तेजस्‍वी यादव सूबे में घूम घूम कर जनता से माफी मांग रहे हैं। दरअसल तेजस्‍वी यादव यह माफीनामा लालू-राबड़ी के कुशासन के अपराधबोध से ग्रस्‍त होकर नहीं मांग रहे हैं।

भारतीय राजनीति में भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुके हैं लालू यादव

लालू कोई गरीबों और मजलूमों की सामाजिक और आर्थिक तरक्की का धर्मयुद्ध नहीं लड़ रहे हैं। लालू का मकसद सिर्फ इतना है कि गैर कानूनी तौर पर इकठ्ठा किये हुए धन को कानून की नज़रों से कैसे छुपा लिया जाए। इस कारण जब से लालू यादव के परिवार के खिलाफ सीबीआई ने सख्ती बरती है, तो ध्यान भटकाने के उद्देश्य से लालू इसे सियासी रंजिश का नाम देकर बड़ा सियासी वितंडा

क्या बिहार में अब क़ानून का राज नहीं, राजद कार्यकर्ताओं का जंगलराज चलेगा ?

विगत दिनों सीबीआई ने लालू यादव के कई ठिकानों पर छापेमारी की, जिसके बाद बौखलाए राजद कार्यकर्ताओं ने इसे भाजपा सरकार की बदले की कार्रवाई बताते हुए भाजपा के पटना कार्यालय पर हमला कर दिया। यह लोकतंत्र के लिए बेहद शर्मनाक है। किसी भी बड़े राजनेता के घर पर छापा पड़ना कोई नई बात नहीं है। कोर्ट (न्यायपालिका) ने न जाने कितनी बार नेताओं को झटका दिया है।

सत्ता के लोभ में लालू के जंगलराज को शह दे रहे नीतीश

जेल के अन्दर की दुनिया उतनी अँधेरी और मनहूस नहीं होती बशर्ते कि आपके पास पैसा हो, रसूख हो और बाहर आपका गॉडफादर बैठा हो। सियासत और अपराध का ऐसा घालमेल हमें बिहार से अच्छा सिर्फ फिल्मों में ही देखने को मिल सकता है, जहाँ जेल का बड़ा अधिकारी, पुलिस अफसर, माफिया डॉन और नेता मिलकर अपना एकछत्र साम्राज्य चलाते हैं।

काटजू के बयान से ज्यादा ‘जंगलराज’ से शर्मिंदा होता है बिहार, नीतीश जी!

नेताओं के लिए बड़ा आसान होता है कि कोई भावनात्मक मुद्दा पकड़ लो और तुरंत अपने को राज्य और लोगों का हितैषी साबित कर दो। वो भी बिना कुछ किए धरे। यह सियासत का वह शॉर्टकट है, जिसे अपनाकर ज़मीन से कटे और जनता की नज़रों से गिरे हुए नेता भी चमक जाते हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस शॉर्टकट के पुराने खिलाड़ी हैं। जब-जब उनकी छवि पर ग्रहण लगता है और उनके अस्तित्व पर