जीएसटी

वस्तु एवं सेवा कर संग्रहण में वृद्धि से गरीब वर्ग तक सहायता पहुंचाना हुआ आसान

किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए धन की आवश्यकता होती है और यह धन देश की जनता से ही करों के रूप में उगाहे जाने के प्रयास होते हैं। उस कर व्यवस्था को उत्तम कहा जा सकता है जिसके अंतर्गत नागरिकों को कर का आभास बहुत कम हो। जिस

तेजी से आगे बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था

जीडीपी अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य को मापने का सबसे सशक्त पैमाना है। यह एक निश्चित समय में सभी उत्पादों और सेवाओं के मूल्य का प्रतिनिधित्व करता है।

चमकीली होती भारतीय अर्थव्यवस्था

कहा जा सकता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में लगातार सुधार आ रहा है। जीडीपी, निवेश, खपत और महंगाई के ताजा आंकड़े बेहद ही सकारात्मक हैं।

अप्रैल 2023 में उच्चतम स्तर पर पहुँचा जीएसटी संग्रह, आर्थिक विकास दर को मिलेगी गति

नए वित्तीय वर्ष के प्रथम माह में ही वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रहण 187,035 करोड़ रुपए का रहा है और इस तरह यह एक नए रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया है।

जीएसटी: विपक्ष का दोहरा चरित्र

यह मानना सिरे से गलत है कि जीएसटी दरों में किसी प्रकार के निर्णय केंद्र सरकार द्वारा लिए जाते हैं। इसमें राज्यों की पर्याप्त भूमिका और हिस्सेदारी है।

मजबूती से बढ़ रही भारतीय अर्थव्यवस्था, अप्रैल में मिला 88 लाख लोगों को रोजगार

भारतीय अर्थव्यवस्था अनेक आर्थिक मानकों पर अच्छा प्रदर्शन कर रही है, इसलिए अर्थव्यवस्था की आगे बढ़ने की गति बनी रहेगी और वह रुकेगी नहीं।

चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूती बरकरार

सरकारी व्यय में वृद्धि, राजस्व संग्रह व जीएसटी संग्रह में तेजी आदि से साफ पता चलता है कि अर्थव्यवस्था मजबूती की दिशा में तेजी से अग्रसर है।

राजकोषीय दृढ़ीकरण की ओर बढ़ रहा है भारत

केंद्र सरकार द्वारा खर्चों पर नियंत्रण रखकर कर उगाही एवं अन्य स्त्रोतों से आय की उगाही पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है जिसका परिणाम राजकोषीय घाटे में कमी के रूप में दिखाई दे रहा है।

जीएसटी संग्रह में लगातार वृद्धि के निहितार्थ

जीएसटी संग्रहण में सीजीएसटी का हिस्सा 23,978 करोड़ रुपए रहा, आईजीएसटी का हिस्सा 66,815 करोड़ रूपये और राज्यों का हिस्सा यानी एसजीएसटी 31,127 करोड़ रुपए रहा।

भारतीय अर्थव्यवस्था का तेजी से हो रहा औपचारीकरण

गैर-औपचारीकृत लेनदेनों का योगदान वर्ष 2018 में 52 प्रतिशत था अर्थात देश में लगभग आधी अर्थव्यवस्था गैर-औपचारीकृत रूप से कार्यरत थी परंतु अब यह योगदान घटकर लगभग 20 प्रतिशत हो गया है।