धर्मांध शासक टीपू सुल्तान की जयंती मनाने की ये कैसी कांग्रेसी मजबूरी ?
एक धर्मांध, विस्तारवादी और बर्बर शासक टीपू सुल्तान की जयंती मनाने को लेकर कांग्रेसी उतावलापन उसके समुदाय विशेष के तुष्टिकरण कारनामों के पुलिंदे में एक नया आयाम जोड़ रहा है। वह भी ऐसे समय में जब स्वयं कर्नाटक हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि टीपू कोई स्वतंत्रता सेनानी नहीं था, वह महज एक शासक था जो अपने हितों के लिए लड़ा। समाज या देश के विकास में उसका कोई योगदान नहीं था। माननीय