ट्रंप

लगातार मजबूत हो रहे भारत-अमेरिका आर्थिक संबंध

हाल के समय में भारत और अमेरिका के बीच आपस में व्यापार और निवेश के सम्बंध  मज़बूत होते जा रहे हैं। विशेष तौर पर विदेशी व्यापार के क्षेत्र में अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा साझीदार बन गया है।

ट्रंप के आगमन से मिला भारत-अमेरिका संबंधों को नया फलक

समय बलवान होता है। एक समय था जब भारत के ही कई सांसदों ने नरेंद्र मोदी को वीजा ना देने का अमेरिका से लिखित निवेदन किया था, एक यह समय है जब मोदी के नेतृत्व में अमेरिका और भारत के रिश्ते सर्वाधिक बुलंद हुए हैं। इसकी शुरुआत नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में हो चुकी थी। उस समय बराक ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति थे। उन्होंने कतिपय भारतीय

ह्यूस्टन में ‘हाउडी मोदी’ की हुंकार

विदेश नीति में नेतृत्व का बहुत महत्व होता है। नेतृत्व के आधार पर विदेश नीति का प्रभाव निर्धारित होता है। देश वही रहता है, लेकिन नेतृत्व बदलते ही अंतरराष्ट्रीय जगत में उंसकी भूमिका में बदलाव आ जाता है। मनमोहन सिंह के समय भारतीय विदेश नीति का प्रभाव अलग था। उनका नेतृत्व हाईकमान की कृपा पर आधारित था। उनसे अमेरिकी राष्ट्रपति के हाथ पर हाथ मारने या

हाउडी मोदी : वैश्विक नेता बनने की ओर अग्रसर मोदी

मोदी भारत के तो यशस्‍वी प्रधानमंत्री हैं ही, वे एक वैश्विक राजनेता बनकर भी तेजी से उभरे हैं। यही कारण है कि वे जहां भी जाते हैं, उन्‍हें प्राथमिकता दी जाती है। आखिर मोदी की इस लोकप्रियता का राज़ क्‍या है? वास्‍तव में मोदी ने जीवन भर जो कार्य किए हैं, परिश्रम दिखाया है और अब भी जिस तरह अपनी नयी दृष्टि व सोच के साथ देश को आगे ले जाने के लिए काम कर रहे हैं, यह उसी का परिणाम है।

दुनिया में भारत की बढ़ती धाक का गवाह बना जी-7 सम्मेलन

जी-7 में नरेंद्र मोदी ने कहा कि कश्मीर  द्विपक्षीय मसला है। किसी तीसरे देश को इसमें हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच मुलाकात हुई। इसके बाद दोनों नेताओं ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की।

ये छप्पन इंच की छाती का ही दम है कि अमेरिकी धमकियों के बावजूद रूस से रक्षा सौदा हो सका!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साबित किया कि उनके लिए राष्ट्रीय हित और सुरक्षा सर्वोच्च है। इसके लिए देश के भीतर कांग्रेस और बाहर अमेरिका का विरोध उनके लिए कोई मायने नहीं रखता। उन्होंने रूस के साथ एस-400 मिसाइल डिफेन्स सिस्टम के रक्षा सौदे को अंजाम तक पहुंचाया। अमेरिका ने इस समझौते को रोकने के लिए पूरी ताकत लगा दी थी। कांग्रेस राफेल की तरह इस

अमेरिका की नयी अफगानिस्तान नीति से पाकिस्तान बाहर, भारत को होगा लाभ

‘मदरशिप ऑफ़ टेररिज्म’ यानी आतंकवाद पैदा करने वाले देश का दर्जा पिछले ही साल अक्टूबर के ब्रिक्स सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान को दिया था। अब धीरे-धीरे दुनिया के महाशक्ति देश भी भारत की बात के समर्थन में उतरने खड़े होने लगे हैं। बीते 21 अगस्त को अमेरिका के प्रधानमंत्री डोनाल्ड ट्रम्प ने भी अपने भाषण में पाकिस्तान को आतंक फैलाने वाला देश कह दिया। ट्रम्प ने तीन बार अपने भाषण में

अमेरिका द्वारा सलाहुद्दीन को अंतर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित किए जाने से हलकान हुआ पाक

सलाहुद्दीन कश्मीर में पाक प्रायोजित आतंकवाद का चेहरा है और हिजबुल मुजाहिदीन घाटी में सक्रिय सबसे पुराना आतंकी संगठन है। आतंकी फंडिंग को लेकर पहले ही पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय संगठन फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की जांच का सामना कर रहा है। जाहिर है, ऐसे में अब सलाहुद्दीन के मुद्दे पर पाकिस्तान की असहजता व बेचैनी प्रकट हो रही है। वो सलाहुद्दीन के बचाव में दलीलें दे