घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देगी पीएलआई स्कीम
दशकों की उपेक्षा से आयात केंद्रित अर्थव्यवस्था बन चुके देश को विनिर्माण धुरी बनाना आसान नहीं है। इसके लिए बहुआयामी उपाय करने होंगे। पीएलआई उसी प्रकार का उपाय है।
वैश्विक नेता के रूप में स्थापित होते प्रधानमंत्री मोदी
‘मॉर्निंग कन्सल्ट’ नामक सर्वे एजेंसी द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के कार्यों को 75 प्रतिशत लोगों ने सही ठहराया है।
कृषि सुधार कानूनों को लेकर किसानों में भ्रम फैलाने का राजनीतिक कुचक्र
ये आंदोलन सीमित क्षेत्र में है, जबकि देशभर के बहुसंख्यक किसान कृषि सुधारों के पक्ष में हैं। अतः जो राजनीति करने पर तुले हुए लोग हैं, जो किसानों के कंधों पर बंदूकें रखकर राजनीति कर रहे हैं, देश के सारे जागरुक किसान उनको भी परास्त करके रहेंगे।
भारत की लोकतांत्रिक यात्रा का गौरवशाली कीर्तिस्तंभ होगा नया संसद भवन
नया संसद-भवन भारत की लोकतांत्रिक यात्रा का गौरवशाली कीर्त्तिस्तंभ है, मील का पत्थर है। यह राष्ट्र के मस्तक का रत्नजड़ित मान-मुकुट है।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हो रहा भारत की सांस्कृतिक पहचान का पुनरुत्थान
2014 में सत्ता में आने के बाद से ही भारत की सांस्कृतिक पहचान के पुनरुत्थान के क्रम में नरेंद्र मोदी सरकार लगातार प्रयासरत है।
जेएनयू में प्रधानमंत्री मोदी ने किया स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण
संघर्ष एक शास्वत सत्य है जो हर महान कार्य में संलग्न होता ही है। जेएनयू में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा की स्थापना भी इस सत्य को स्थापित करती है।
दो दशकों से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की अभेद्य लोकप्रियता का रहस्य क्या है ?
मोदी के साहसिक निर्णय आज तो जन-स्वीकार्य हैं ही, आने वाले सैकड़ों वर्षों तक भी उन्हें उनके इन निर्णयों के लिए याद किया जाएगा।
राहुल गांधी की बचकानी हरकतों के कारण सिमट रही है कांग्रेस
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी जिस प्रकार की बचकानी हरकतें करते रहे हैं उससे वे हर तरफ हास्य का पात्र बन जाते हैं।
पारित हुए कृषि सुधार विधेयक, किसानों के जीवन में आएगा नया सवेरा
कुल मिलाकर घोषणा के स्तर पर ये विधेयक निःसंदेह आश्वस्तकारी हैं, उम्मीद है धरातल पर भी ये परिणामदायी साबित होंगें और किसानों के जीवन में नया सवेरा लाएंगे।
नरेंद्र मोदी : लोककल्याण के लिए संकल्पित जननायक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपना 70वां जन्मदिन मना रहे हैं। सत्तर वर्षों के इस कालखंड के दौरान समाज जीवन में उनकी यात्रा बेहद लंबी और समृद्ध रही है।