वंशवादी राजनीति से मुक्ति की दिशा में बढ़ रहा है देश
प्रधानमंत्री मोदी विकास की राजनीति के जरिए लोकतंत्र के सबसे बड़े दुश्मन यानी वंशवादी राजनीति को ठिकाने लगाने में जुटे हैं और उन्हें सफलता भी मिल रही है।
बिहार : लालू के जंगलराज से नीतीश के सुशासन तक
बिहार अपनी बौद्धिक-साहित्यिक-सांस्कृतिक सक्रियता एवं सजगता के लिए जाना जाता रहा है। परंतु लालू का शासन वह दौर था, जब जातीय घृणा की फसल को भरपूर बोया गया।
‘कांग्रेस तेजी से जिस रास्ते पर बढ़ रही है, वो पतन के अलावा और कहीं नहीं जाता’
कांग्रेस के अंदर नेतृत्व के प्रति असंतोष और निराशा का भाव बढ़ रहा है, लेकिन इस परिवारवाद की पट्टी आँखों पर बांधे पार्टी इस बात की अनदेखी करने में लगी है।
अतीत से सबक न ले रही कांग्रेस के लिए भविष्य और कठिन होने वाला है
सोमवार को कांग्रेस की बैठक में से एक के बाद एक आए बयानों का सार यही है कि इस पार्टी के लिए गांधी परिवार ही सबकुछ है।
कांग्रेस में बढ़ता ही जा रहा परिवारवादी राजनीति का वर्चस्व
ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस पार्टी छोड़ भाजपा में आने से साबित हो गया कि देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी परिवारवाद से बाहर निकलने को तैयार नहीं है। वैसे तो ज्योतिरादित्य सिंधिया की उपेक्षा के कई कारण हैं लेकिन सबसे अहम कारण है, कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी के लिए रास्ता साफ़ रखना।
राजनीति में परिवारवाद की सभी सीमाएं पार करती जा रही कांग्रेस
आखिर राबर्ट पार्टी में किस पद पर हैं, उनके बच्चे पार्टी में कौन सी अहम भूमिका अदा कर रहे हैं जो वे रिटर्निंग आफिसर के कक्ष तक नामांकन के समय चले गए। ये कृत्य क्या कांग्रेस द्वारा राजनीति में परिवारवाद की सभी मर्यादाओं को पार कर जाने का ही सूचक है।
प्रियंका रूपी आखिरी दाँव से कांग्रेस का कितना भला होगा?
नरेंद्र मोदी-अमित शाह के नेतृत्व में भारतीय जनता की मजबूत घेरेबंदी और “तीसरे” व “चौथे” मोर्चे के गठन की कवायदों के बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने “ब्रह्मास्त्र” या आखिरी दाँव (प्रियंका गांधी) का प्रयोग कर ही दिया। प्रियंका गांधी को पार्टी महासचिव बनाते हुए उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश में पार्टी की जिम्मेदारी दी गई है। कांग्रेस को उम्मीद है कि जनता प्रियंका गांधी में उनकी दादी (इंदिरा गंधी) की छवि देखेगी और कांग्रेस की सत्ता में वापसी होगी।
भारतीय राजनीति में परिवारवाद थोपने का श्रेय नेहरू-गांधी परिवार को जाता है!
अपने बयानों को लेकर सुर्खियां बटोरने वाले कांग्रेस नेता शशि थरूर ने इस बार नेहरू-गांधी परिवार की चाटुकारिता के बहाने भारतीय राजनीति में परिवारवाद पर एक नई बहस को जन्म दे दिया। पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान शशि थरूर ने कहा कि आज अगर एक चायवाला देश का प्रधानमंत्री है, तो इसका श्रेय नेहरू
स्क्रिप्ट राइटर नेता नहीं बनाते, नेता ‘परफॉर्म’ करके बना जाता है राहुल गांधी जी !
इन दिनों खबर मिल रही है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने स्क्रिप्ट राइटर बदल लिए हैं। अब वो लोग उनके लिए लिखने लगे हैं जो फिल्मों के लिए डायलॉग्स लिखते हैं और पहली कतार में बैठे लोगों की तालियाँ बटोरते हैं। राहुल गांधी सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए आजकल सस्ते फ़िल्मी हथकंडे का सहारा ले रहे हैं। चुटकुले, कहानियाँ और पहेलियाँ सुनाना उनका शगल हो गया है, जनता उन्हीं को सुनकर मनोरंजन
कभी वंशवाद को समस्या कहने वाले राहुल गांधी अब उसे देश की पहचान बता रहे !
कथा सम्राट प्रेमचंद ने कहा था कि सिर्फ मूर्ख और मृतक अपने विचार नहीं बदलते हैं। भारतीय राजनीति में वंशवाद को लेकर हाल ही में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रेमचंद के इस कथन का साबित भी किया। अमेरिका के कैलिफोर्निया में एक बातचीच में राहुल गांधी ने कहा कि भारत वंशवाद से ही चल रहा है। इसके लिए उन्होंने मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव से लेकर तमिलनाडु के नेता करुणानिधि के बेटे स्टालिन