देश के अन्नदाता की समस्याओं को दूर करने वाला सर्वसमावेशी बजट
अंतरिम बजट में किसानों को अधिकतम लाभ देने की कोशिश की गई है। मनरेगा के लिये 2019-20 में 60,000 करोड़ रुपये आवंटित करने की घोषणा की गई है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिये वित्त वर्ष 2019-20 के बजट में 19,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जिससे गाँवों को निकट के शहरों से जोड़ने में मदद मिलेगी।
विकास की योजनाओं को जमीन पर साकार करने वाला है योगी सरकार का बजट !
योगी आदित्यनाथ की सरकार ने प्रदेश के समग्र विकास की जो रणनीति बनाई है, बजट के माध्यम से उसका क्रियान्वयन सुनिश्चित करने की दिशा में एक ठोस कदम भी बढ़ा दिया है। इन्वेस्टर समिट से लेकर केंद्र की योजनाओं को प्रदेश में लागू करना योगी सरकार की प्राथमिकता में रहा है। पिछले दस महीने में सरकार ने इसी दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए हैं। अब सरकार ने किसान, कृषि, गांव, फसल खरीद केंद्र, बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ सेवाएं, शिक्षा, निवेश, उद्योग आदि सभी क्षेत्रों की बेहतरी के प्रस्ताव अपने बजट में किये गए हैं।
मोदी केयर : गरीबी उन्मूलन की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी ये योजना
अब तक की सरकारें गरीबों को दान-दक्षिणा वाली योजनाओं में उलझाए रखती थीं ताकि वोट बैंक की राजनीति पर आंच न आए। यही कारण है कि गरीबी उन्मूलन की सैकड़ों योजनाओं और लाखों करोड़ रूपये खर्च करने के बावजूद गरीबों की तादाद में अपेक्षित कमी नहीं आई। मोदी सरकार इन सबसे अलग है, क्योंकि वह गरीबों को समर्थ बना रही है ताकि वे उदारीकृत अर्थव्यवस्था में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकें।
नए भारत के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने वाला बजट
आर्थिक समीक्षा आने के पश्चात् यह अंदाज़ा हो गया था कि वित्त मंत्री अरूण जेटली राजनीतिक लाभ-हानि से परे दूरगामी हितों पर आधारित एक विकासोन्मुखी बज़ट प्रस्तुत करेंगे, जिसमें गाँव, कृषि और रोजगार पर ज्यादा फोकस रहेगा। हुआ भी ऐसा ही, वित्त मंत्री अरूण जेटली ने 2018-19 के आम बजट में ग्रामीण विकास, ग्रामीण रोजगार और स्वास्थ्य को लेकर कई अहम योजनाओं की घोषणाएं की जो आगामी वर्षों में किसान और ग्रामीण जनता के जीवन में सकरात्मक बदलाव ला सकती हैं।
बजट 2018 : देश के सर्वांगीण विकास को समर्पित मोदी सरकार का साहसिक बजट !
मोदी सरकार ने वर्ष 2018 का वार्षिक और अपने कार्यकाल का अंतिम पूर्णकालीन बजट गत 1 फरवी को सदन में पेश किया। इस बजट में यूँ तो सबसे अधिक महत्व् ‘कृषि’ व् ‘स्वास्थ्य’ से जुड़े विषयों को दिया गया है, लेकिन अन्य क्षेत्रों की भी इसमें अनदेखी नहीं की गयी है। चुनाव से पूर्व सरकारों द्वारा प्रायः लोकलुभावन बजट पेश किया जाता है, लेकिन यह बजट मोदी सरकार ने लोकलुभावन घोषणाओं की बजाय दूरगामी हितों
लोकलुभावन नहीं, सर्वसमावेशी और दूरगामी लक्ष्यों पर आधारित है ये बजट !
एक फरवरी, 2018 को पेश की गई बजट में समावेशी विकास को सुनिश्चित करने की कोशिश की गई है। इसमें सामाजिक मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया गया है। देश में गरीबी एक बहुत बड़ी समस्या है। गरीबों को स्वस्थ रखना सरकार के लिये हमेशा से बड़ी चुनौती रही है। इसलिये, हेल्थ वेलनेस सेंटर के लिये 1200 करोड़ रूपये बजट में देने की बात कही गई है। इस क्रम में हर परिवार को 5 लाख रूपये का स्वास्थ्य बीमा दिया
शहर-गाँव, अमीर-गरीब और किसान-उद्योग सबके लिए ख़ास है ये बजट !
यह मीडिया भी गज़ब की है! जो पिछले कुछ सालों से नरेन्द्र मोदी सरकार को प्रो-कॉर्पोरेट कहते नहीं थकती थी, वही आज कह रही है कि मोदी सरकार तो प्रो-फार्मर हो गई है। खैर, देश की बहुसंख्यक आबादी खेती और उससे सम्बंधित व्यवसायों से जुड़ी है, ऐसे में इस क्षेत्र पर विशेष ध्यान देना बहुत अच्छा कदम है।
‘सबका साथ, सबका विकास’ के एजेंडे को प्रतिबिंबित करता बजट
विगत एक फ़रवरी को केन्द्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आम बज़ट पेश किया, जिसमें कि उन्होंने अनावश्यक लोकलुभावन वादों से परहेज़ करते हुए राष्ट्र के सर्व-समावेशी विकास की रूपरेखा प्रस्तुत की। विपक्षी दल अभी तक भाजपा सरकार पर धनाढ्य और कुलीनतंत्रों की हिमायती होने का फ़िज़ूल आरोप लगाते आये हैं, लेकिन इस बजट से केंद्र सरकार ने अपना एजेंडा स्पष्ट कर दिया है कि सरकार देश के गांवों