बनारस ने बता दिया कि 2019 की मोदी लहर 2014 से भी बड़ी है!
बीएचयू के लंका गेट पर जब मोदी पहुंचे तो समर्थकों का भारी जनसैलाब देखते ही बनता था। उन्होंने महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और अमूर्त प्रेरणाओं से इस प्रकार अपने अंदाज में आर्शीवाद प्राप्त किया। इसके बाद रोड शो का आरंभ हुआ जो कि अपने आप में एक दृष्टांत बन गया। दृष्टांत इस अर्थ में कि किसी भी
बनारस में प्रियंका गांधी के पीछे हटने का क्या है मतलब?
प्रियंका अगर बनारस से प्रधानमंत्री के खिलाफ चुनाव लड़ लेती तो हार भले जातीं, लेकिन इससे कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार जरूर कर सकती थीं, मगर लड़ाई से ठीक पहले उम्मीद जगाकर पीछे चले जाने के फैसले से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में यह गलत सन्देश गया है कि वह खुद फैसला लेने में सक्षम नहीं हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारतीय संस्कृति के विकसित केंद्र का रूप लेने की ओर अग्रसर काशी
अगर हम केंद्र की मोदी सरकार और प्रधानमंत्री मोदी के काशी के सांसद के तौर पर चुने जाने के पहले और बाद की स्थिति को देखें तो पाएंगे कि अब वाराणसी विकास के हर मोर्चे पर खरा उतरता हुआ प्रतीत हो रहा है। चाहें वह काशी के गंगा घाटों की साफ़ सफाई की बात हो, शहर की स्वच्छता हो, बिजली-पानी की व्यवस्था हो या फिर सडकों की हालत हो। हर मामले में काशी