राजनीतिक जमीन खोती जा रही बहुजन समाज पार्टी
समय बहुत बलवान होता है इस कहावत बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती से अधिक कोई नहीं समझ सकता। जिस बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन के लिए कभी राष्ट्रीय दल लाइन लगाए रहते थे वही बसपा अब अपने अस्तित्व के लिए जूझ रही है। उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा उप चुनाव में मिली करारी शिकस्त ने बसपा प्रमुख मायावती की नींद उड़ा दी है। उन्हें डर लगा
नाखून कटाकर शहीद बनने का नाटक कर रही हैं मायावती
“यदि मैं सदन में दलितों की बात नहीं उठा सकती तो मुझे सदन में रहने का अधिकार नहीं।” यह कहते हुए मायावती ने राज्य सभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उपर से देखने पर मायावती के इस्तीफे में बलिदान की भावना नजर आती है, लेकिन यदि इसका विश्लेषण किया जाए तो यह सियासी वजूद मिट जाने के भय से उठाया गया कदम नजर आएगा।