‘विवेकानंद का संदेश आधुनिक मानवता का संदेश था’
विश्व धर्म महासभा की सफलता के बाद जब स्वामी जी के चित्र तिलक जी ने समाचार पत्रों में देखे तो उनको याद आया कि यह वही संन्यासी हैं, जिन्होंने उनके घर पर कुछ दिन तक निवास किया था।
युवाओं के लिए प्रेरणा का माध्यम बनेगी स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा
स्वामी विवेकानंद की जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रतिमा के होने का मतलब है इस विश्वविद्यालय के हर छात्र का भारतीयता के रंग में रंग जाना,
राजनीतिक-वैचारिक भेदों से परे हैं विवेकानंद के विचार
स्वामी विवेकानंद ने पूरा जीवन निस्वार्थ भाव से भारत माता के चरणों में समर्पित कर दिया। वह जीवन भर मनुष्य निर्माण के कार्य में लगे रहे।
स्वामी विवेकानंद के जीवन से जुड़े पाँच रोचक प्रसंग जो हमें उनके और करीब ले जाते हैं
प्रो. शैलेन्द्रनाथ धर द्वारा लिखी पुस्तक “स्वामी विवेकानंद समग्र जीवन दर्शन” के अनुसार वर्ष 1898 में जब स्वामी जी अल्मोड़ा यात्रा पर थे, उन दिनों अंग्रेज़ उनकी निगरानी करते थे, जब यह सूचना स्वामीजी को पता लगी तो उन्होंने यह बात हंसी में उड़ा दी थी
लोकमान्य तिलक : स्वराज के वो सिपाही जिन्हें इतिहास में वह जगह नहीं मिली जो मिलनी चाहिए थी!
तिलक का जीवन-चरित्र और संघर्ष नदी के विपरीत दिशा में बहने वाले नाविक का रहा है। वो अपने जीवन में सिर्फ स्वयं-सिद्धि के कार्यों में नहीं लगे हुए थे बल्कि ऐसे लोगों और संस्थाओं की तलाश में थे जो राष्ट्रवाद की अलख जगा सकें। तिलक की बहुआयामी प्रतिभा उनके कार्यों से स्पष्ट होती है।