बिजली

‘मोदी का जितना विरोध होता है, वे उतने ही मजबूत होते जाते हैं’

समकालीन भारतीय राजनीति में जितना विरोध नरेंद्र मोदी का हुआ है, उतना शायद ही किसी नेता का हुआ हो। सबसे बड़ी विडंबना यह है कि मोदी का जितना विरोध होता है, मोदी उतने ही मजबूत बनते जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता की सबसे बड़ी वजह है, उनकी विकास की राजनीति जो “सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय” पर आधारित है।

हर गाँव के बाद हर घर तक बिजली पहुँचाने में जुटी मोदी सरकार

जिस देश में योजनाओं की लेट-लतीफी का रिकॉर्ड रहा हो वहां निर्धारित समय से पहले योजना पूरी हो जाए तो इसे चमत्‍कार ही कहा जाएगा। पंद्रह अगस्‍त, 2015 को लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक हजार दिनों के भीतर देश के सभी गांवों तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्‍य रखा था। राजनीतिक इच्‍छाशक्‍ति और नौकरशाही की चुस्‍ती के कारण यह महत्‍वाकांक्षी लक्ष्‍य 988 दिन में ही पूरा हो गया अर्थात तय समय से 12 दिन पहले।

हर गाँव तक बिजली पहुँचाने में कामयाब रही मोदी सरकार !

आजादी के सत्‍तर साल बाद ही सही लेकिन अब तक अंधेरे में डूबे 18,452 से अधिक गांवों में समय सीमा से पहले बिजली पहुंचना एक बड़ी उपलब्‍धि है। गौरतलब है कि प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्‍त, 2015 को लाल किले की प्राचीर से एक हजार दिनों में देश के इन गांवों में बिजली पहुंचाने का समयबद्ध लक्ष्‍य तय किया था। इसके लिए दीन दयाल उपाध्‍याय ग्राम ज्‍योति योजना शुरू की गई, जिसके तहत ग्रामीण घरों और कृषि

सौभाग्य योजना : हर घर बिजली पहुँचाने की ठोस और रचनात्मक पहल

मोदी सरकार द्वारा भारत की अर्थव्यवस्था के विकास के साथ नागरिक की मूल आवश्यकताओं को केंद्रीत कर योजनाएं बनाई जा रही हैं। ये सरकार सिर्फ शहरीय विकास पर केन्द्रित नहीं, बल्कि ग्रामीण विकास की ओर अग्रसर है। प्रधानमंत्री अपने भाषणों और कार्यक्रमों में इस बात को साफ कर चुके हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों का विकास होगा, तभी शहरों में कुछ नए निर्माण की संभावना है।

हर घर तक बिजली पहुँचाने की दिशा में तेजी से बढ़ रही मोदी सरकार !

हर गांव तक बिजली पहुंचाने के महत्‍वाकांक्षी लक्ष्‍य के करीब पहुंची मोदी सरकार अब देश के हर घर को रोशन करने के लिए “सुभाग्‍य योजना” लाने जा रही है। इसके तहत ग्रामीण इलाकों में हर घर को 2019 तक सब्‍सिडी देकर बिजली कनेक्‍शन मुहैया कराया जाएगा। गौरतलब है कि देश के चार करोड़ घरों में अभी भी बिजली के बल्‍ब जलने का इंतजार है। यह संख्‍या यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था जर्मनी के कुल घरों से ज्‍यादा

कांग्रेस सरकारों की गलत नीतियों के कारण अंधेरे में डूबे गांवों को रोशन करने में जुटी मोदी सरकार

आजादी के बाद बिजलीघर भले ही गांवों में लगे हों लेकिन इन बिजलीघरों की चारदीवारी के आगे अंधेरा ही छाया रहा है। दूसरी ओर यहां से निकलने वाले खंभों व तारों के जाल से शहरों का अंधेरा दूर हुआ। आजादी के समय देश में केवल 1,362 मेगावाट बिजली का उत्‍पादन होता था, लेकिन बीते 70 वर्षों के दौरान यह आंकड़ा 3,29,205 मेगावाट के स्‍तर पर पहुंच गया है। इसे शानदार नहीं, तो संतोषजनक उपलब्‍धि जरूर कहेंगे

केंद्र और यूपी सरकार के बीच हुए ‘पॉवर फॉर आल’ समझौते से ख़त्म होगा यूपी का बिजली संकट

सत्‍ता संभालने के बाद मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने जिला मुख्‍यालयों में 24 घंटे, तहसील में 20 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में 18 घंटे बिजली आपूर्ति का आदेश दिया। 100 दिनों में 5 लाख नए कनेक्‍शन देने के साथ-साथ जले हुए ट्रांसफार्मर को बदलने के लिए 48 घटे का समय दिया है। बिजली की मांग-आपूर्ति की खाई को बिडिंग के जरिए बिजली खरीद कर पूरा करने के साथ-साथ प्रदेश के

प्रधानमंत्री मोदी ने देश को समर्पित की कुडनुकुलम परियोजना की पहली यूनिट, ख़त्म होगा ऊर्जा संकट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयत्र की पहली यूनिट देश…