डिजिटलीकरण से भ्रष्टाचार और काले धन पर लग रही लगाम
हाल ही में आयकर विभाग ने 3,500 करोड़ रुपये से ज्यादा मूल्य की 900 से अधिक बेनामी संपातियाँ जब्त की है, जिनमें फ्लैट, दुकानें, आभूषण, वाहन आदि शामिल हैं। अगर व्यक्ति कोई जायदाद किसी दूसरे के नाम से खरीदता है, तो उसे बेनामी संपत्ति कहा जाता है। ऐसे जायदाद आमतौर पर पत्नी, पति या बच्चे के नाम से खरीदे जाते हैं, जिनके भुगतान के स्रोत की जानकारी नहीं होती है। वैसे, भाई, बहन, साला, साली या
लालू यादव बताएं कि ये हजार करोड़ की संपत्ति कमाने के लिए उन्होंने कौन सी ‘मेहनत’ की है ?
लालू के परिवार के सदस्यों की संपत्ति अगर आयकर विभाग स्थाई तौर पर जब्त कर ले तो वे बिहार के ऐसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री होंगे जिन पर बेनामी संपत्ति कानून के तहत कार्रवाई होगी। पर, लालू इससे भी शर्मसार होने वाले नहीं हैं। लालू एक अजीब नेता हैं। वे अमीरों पर बरसते हुए खुद धन्नासेठ हो गए। याद नहीं आता कि लालू एंड फैमिली ने बिहार के अवाम का दुख-दर्द दूर करने के लिए भी कोई बड़ी पहल की हो।
काले धन के बाद अब बेनामी संपत्ति पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की तैयारी में सरकार
अच्छे दिन लाने के साथ सत्ता मे आई मोदी सरकार जनता के लिए अच्छे दिन ला रही है और भष्ट्राचारियों के लिए बुरे दिनों का आगाज कर चुकी है। सरकार के नोटबंदी के फैसले से कालेधन के जमाखोर जिस तरह छटपटा कर अपने नोटों को इधर-उधर ठिकाने लगा और नष्ट कर बचने की कोशिश कर रहे हैं, ठीक कुछ उसी तरह अब बेनामी सम्पत्ति के मालिक भी अपने–अपने नाम को भष्ट्रचारियों की सूची मे आने से
काले धन पर मोदी सरकार का एक और वार, शुरू हुई बेनामी संपत्तियों पर कार्रवाई की तैयारी!
नोटबंदी के बाद आम जनता की परेशानियों का बहाना बनाकर केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा किए जाने की तैयारियां तो विपक्ष द्वारा खूब की गईं, लेकिन सब विफल हो गया। जनता मजबूती के साथ इस कदम में देश और सरकार के साथ खड़ी है। नोटबंदी के बाद केंद्र सरकार द्वारा बेनाम संपत्ति वालों पर भी नकेल कसने की तैयारियां शुरू हो चुकी है। चूंकि, काले धन का बड़ा हिस्सा इस तरह की संपत्ति में लगाकर