भाजपा

भारतीय राजनीति के अजातशत्रु का अवसान

आपने पिछले बार दिल्ली की सडकों पर ऐसा विशाल जनसैलाब कब देखा? किसी नेता के लिए ऐसा अपार प्यार, स्नेह और इज्ज़त आपने कब देखा? यह याद रखिए अटल जी ने एक ऐसे समय में सियासत की थी, जब कोई सोशल मीडिया नहीं थी, लेकिन इसके बावजूद लाखों-करोड़ों  लोगों के दिल में उनकी प्रतिमा स्थापित रही। अब पूरे देश के सामने यह उदाहरण है कि

अटल बिहारी वाजपेयी : ‘मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं, लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं?’

सोलह अगस्त की तारीख इतिहास में एक युग के अवसान के रूप में दर्ज हो गयी है। राजनीति के अजातशत्रु अटल बिहारी वाजपेयी का लंबी अस्वस्थता के बाद निधन हो गया। अटल जी को याद करते हुए उनकी एक कविता का जिक्र यहाँ समीचीन लगता है- “ठन गई, मौत से ठन गई/ जूझने का मेरा इरादा न था, मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था/ रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई, यूं लगा जिंदगी से बड़ी हो गई।“ 

पूरब से पश्चिम तक भाजपा का बुलंद मंसूबा

विपक्षी महागठबंधन की कवायदों के बीच भारतीय जनता पार्टी ने भी अपना मंसूबा बुलंद कर लिया है। यह बात भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की पहले कलकत्ता की जनसभा और फिर मेरठ में प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के समापन भाषण से जाहिर हुई। पश्चिम बंगाल में भाजपा, कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों को पछाड़ कर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है। मतलब यहाँ पार्टी जमीनी स्तर पर मुख्य विपक्षी पार्टी की हैसियत में आ गई है। अमित शाह ने इसी अंदाज में ममता बनर्जी  सरकार पर हमले

ममता बनर्जी की बौखलाहट के पीछे यह भय छिपा है कि कहीं ‘बंगाल का त्रिपुरा’ न हो जाए!

उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में मिली प्रचंड जीत के बाद अप्रैल, 2017 में ओड़िसा में हुई भाजपा की  राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में अमित शाह ने एक बयान दिया था, जो तब सुर्ख़ियों में छाया रहा। उत्तर प्रदेश की प्रचंड जीत के उत्सव में झूम रहे भाजपा कार्यकर्ताओं से शाह ने कहा था कि यह जीत बड़ी है, लेकिन यह भाजपा का स्वर्णकाल नहीं है। भाजपा का स्वर्णकाल तब आयेगा

कांग्रेस पिछड़े वर्ग की कितनी हितैषी है, ये ओबीसी आयोग पर उसके इतिहास से ही पता चल जाता है!

देश की राजनीति में आज़ादी के बाद से ही निरंतर पिछड़े समाज व वर्ग के उत्थान की बातें तो बहुत की गईं। लेकिन इसको लेकर कभी कोई नीतिगत फैसला पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा नहीं लिया गया। इसके उलट मोदी सरकार ने सत्ता में आने के उपरांत ही गरीब, वंचित, शोषित, पिछड़े वर्ग को सामाजिक न्याय दिलाने की दिशा में अनेक हितकारी निर्णय लिए हैं, जिसमें हाल ही में

भाजपा-पीडीपी के अपरिहार्य गठबंधन का अवसान

कभी-कभी खंडित जनादेश धुर विरोधियों को भी साथ आने पर विवश कर देता है। जम्मू-कश्मीर में भाजपा और पीडीपी का गठबंधन ऐसा ही था। दोनों ने विधानसभा चुनाव एकदूसरे के खिलाफ लड़ा था। लेकिन खंडित जनादेश में इनके पास गठबंधन से सरकार बनाने का एक मात्र विकल्प यही बचा था। इसे अपरिहार्य  गठबंधन कहा जा सकता था।

‘भारत में संविधान-लोकतंत्र सब सुरक्षित हैं, असुरक्षा केवल गलत कार्य करने वालों के लिए है’

विपक्षी एकता के बीच आर्क विशप अनिल के बयान को संयोग मात्र ही कहा जा सकता है। लेकिन, सन्दर्भ और मकसद की समानता शक पैदा करती है। उन्होंने जाने-अनजाने विवाद का मौका दिया है। कहा जा रहा है कि भाजपा को अब विपक्ष के साथ चर्च के विरोध का भी सामना करना पड़ेगा। इस कयास को ममता बनर्जी और कई अन्य नेताओं के बयान से बल मिला। उन्होंने

सुरक्षा, विकास और राष्ट्रीय गौरव के चार वर्ष !

केंद्र में भाजपा की सरकार के चार वर्ष पूरे हो गए हैं। भाजपा ने यह मुकाम पूर्ण एवं प्रचंड बहुमत से हासिल किया था। दूसरे अर्थों में इसे ऐसे भी कहा जा सकता है कि जनता की पूरे मन से भाजपा को ही सत्‍ता में लाने की उत्‍कट कामना थी, जो नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के रूप में परिणित हुई। आज चार वर्षों बाद भाजपा ने उन सारे मतदाताओं का धन्‍यवाद अपनी उपलब्धियों एवं कार्यों के ज़रिये कर दिया है जिन्‍होंने पूरे

पूर्वोत्‍तर में अबकी ‘वोट बैंक’ नहीं, ‘विकास’ की राजनीति का सिक्‍का चला है!

पूर्वोत्‍तर भारत में भारतीय जनता पार्टी को मिल रही कामयाबी के राजनीतिक मायने के साथ-साथ आर्थिक मायने भी हैं जो इस शोर में दब से गए हैं। आजादी के बाद अधिकांश सरकारों के लिए पूर्वोत्‍तर बेगाना ही रहा। उनके लिए गुवाहाटी ही पूर्वोत्‍तर का आदि और अंत दोनों था। जनजातियों में वर्गीय संघर्ष को बढ़ावा देकर अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने और बांग्‍लादेशी घुसपैठियों को सुनियोजित तरीके से बसाकर

पूर्वोत्तर चुनावों में सिद्ध हो गया कि भाजपा अब पूरे भारत पर राज करने वाली पार्टी बन गयी है !

पूर्वोत्तर के तीन राज्यों की जनता ने कांग्रेस और वामपंथी दलों की झूठ और प्रपंच से भरी राजनीति को बेनकाब कर, वहाँ भगवा परचम लहरा दिया है। त्रिपुरा में 25 साल पुरानी “तथाकथित” इमानदार माणिक सरकार अब अतीत का हिस्सा बन गई है। इसी तरह नागालैंड में भी भाजपा ने अपने सहयोगी दल नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के साथ मिलकर शानदार प्रदर्शन किया है। पूर्वोत्तर के महत्वपूर्ण त्रिपुरा राज्य में लेफ्ट का