भाजपा

गुजरात में पहले से ही बदहाल कांग्रेस अब ‘सूपड़ा साफ’ होने की ओर बढ़ रही है !

राहुल गाँधी ने कहा कि उन्हें बिहार में घटित हुए सियासी घटनाक्रम के बारे में पहले से अंदेशा था, तो सवाल उठा कि उन्होंने इसे रोकने के लिए कुछ क्यों नहीं किया ? दूसरा सवाल अब ये उठ रहा कि क्या राहुल गाँधी को गुजरात में घटित हो रहे राजनीतिक घटनाक्रम के बारे में भी पहले से पता था और अगर हाँ, तो उन्होंने इसको रोकने के लिए भी क्यों कुछ नहीं किया? ये तो राहुल गांधी हैं जो धीरे-धीरे भारतीय राजनीति के मज़ाक

बिहार के सुस्त विकास को फिर गति देगी जदयू-भाजपा सरकार

नीतीश कुमार के इस्तीफे को सिर्फ मौजूदा घटनाक्रम से जोड़कर नहीं देखा जा सकता है। महागठबंधन के बैनर के तले नीतीश कुमार जरूर मुख्यमंत्री बन गये थे, लेकिन वे अपनी छवि के मुताबिक काम नहीं कर पा रहे थे। उनके अतंस में अकुलाहट थी। देखा जाये तो परोक्ष रूप से लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्री के रूप में कार्य कर रहे थे।

भारतीय राजनीति में क्यों अप्रासंगिक होती जा रही है कांग्रेस ?

इतिहास के पन्नों को पलटें और इसके सहारे भारतीय राजनीति को समझने को प्रयास करें तो हैरानी इस बात पर होती है कि जो कांग्रेस पंचायत से पार्लियामेंट तक अपनी दमदार उपस्थिति रखती थी, आज वही कांग्रेस भारतीय राजनीति में अप्रासंगिक हो गई है। ऐसा इसलिए कहना पड़ रहा है, क्योंकि आज बिहार से लगाये कई राज्यों की सियासत गर्म है और इन सबमें में कांग्रेस कहीं गुम-सी नज़र आ रही है। बिहार में महागठबंधन

सत्ता की सियासत में गठबंधनों पर भारी दिलों की दीवारें

बिहार में चल रहे सियासी उठा-पटक के बीच जो लोग टेलीविजन से चिपके हुए थे, उन्होंने एक दिलचस्प नजारा देखा – महज 60 मिनट के भीतर ही रिश्तों और मर्यादाओं की सीमाएं टूटने का। कुछ देर पहले तक जो लालू यादव नीतीश कुमार को छोटा भाई बताते हुए गठबंधन को अटूट बता रहे थे, वही लालू बदले हुए तेवर में नीतीश को मौकापरस्त और हत्यारोपी तक साबित करने में जुटे हुए थे। उनके बेटे और बिहार के पूर्व

देश के हर ‘कोविंद’ की आँख में भाजपा ने आकाश तक पहुँचने का स्वप्न रोप दिया है !

भारत एक अद्भुत और स्वर्णिम युग में प्रवेश कर चुका है। विश्व के सबसे बड़े राजनीतिक दल और भारत की सत्ताधारी पार्टी भाजपा ने फिर से एक बार अपने होने का मतलब साबित किया है। फिर से दीनदयाल के अन्त्योदय का सपना साकार हुआ है। भारत के करोड़ों ‘रामनाथ’ के घर की कच्ची दीवाल के पक्के होने की अलख जगी है। देश के हर ‘कोविंद’ की आंखों में आकाश तलक पहुंच पाने का

भाजपा के प्रति ममता का ये अंधविरोध खुद उन्हें ही नुकसान पहुंचाएगा !

2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का भाजपा के प्रति विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। विशेष रूप से गत वर्ष हुई नवम्बर में हुई नोटबंदी के बाद से तो उनका भाजपा विरोध घृणा के स्तर तक पहुँचता नज़र आ रहा है। भाजपा के प्रति वे अपने विरोध को जिस-तिस प्रकार से जाहिर करती रहती हैं। अब उन्होंने घोषणा की है कि आगामी 9 अगस्त से वे ‘बीजेपी भारत छोड़ो’ नामक

रामनाथ कोविंद : आईएएस की नौकरी छोड़ने से लेकर राष्ट्रपति बनने तक के संघर्षों की कहानी

बिहार के पूर्व राज्‍यपाल रामनाथ कोविंद आगामी 25 जुलाई को देश के 14 वें राष्‍ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे। उन्‍होंने अपनी प्रतिद्वंद्वी पूर्व लोकसभा स्‍पीकर मीरा कुमार को बड़े अंतर से हराया है। कोविंद की यह जीत अपेक्षित ही थी। भाजपा और एनडीए कार्यकर्ताओं समेत कोविंद के गांव में भी लोगों ने जमकर जश्न मनाया और मिठाई बांटी। जीत की घोषणा के बाद उन्‍हें बधाइयों का तांता लग गया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

कड़े फैसलों से यूपी को पटरी पर लाने की कवायदों में जुटी योगी सरकार

यूपी की योगी आदित्यनाथ की सरकार को करीब चार महीने पूरे हो गए हैं। किसी सरकार की समीक्षा के लिए यूं तो चार महीने का समय पर्याप्त नहीं होता लेकिन इन चार महीनों में ही सरकार ने अपने अंदाज से आगाज का एहसास करा दिया है। ये बता दिया है कि उत्तर प्रदेश में अब वो नहीं चलेगा जो पिछले चौदह पंद्रह सालों से यहां होता आ रहा था। जाहिर है, डेढ़ दशक का वक्त काफी होता है और डेढ़ दशकों में ना सिर्फ उत्तर

अंतर्राष्ट्रीय सर्वे में आया सामने, मोदी सरकार है दुनिया की सबसे भरोसेमंद सरकार

हाल ही में फोर्ब्स पत्रिका में छपे ओईसीडी के सर्वे में यह सामने आया है कि मोदी सरकार पर देश के 73 प्रतिशत लोग विश्वास करते हैं। अपने देश के लोगों में सर्वाधिक विश्वास कायम करने वाले दुनिया के शीर्ष तीन देशों में मोदी सरकार शुमार है। ‘गवर्नमेंट एट ग्लांस 2017’ नाम की इस सर्वे रिपोर्ट में कुल 15 देशों को जगह मिली। इस रिपोर्ट में सबसे नीचे ग्रीस (13%) और सबसे ऊपर भारत (73%) है।

राष्ट्रपति चुनाव : दलित उत्थान का नारा लगाने वाले रामनाथ कोविंद के नाम से सन्नाटे में क्यों हैं ?

बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद के नाम को सामने कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की जोड़ी ने एकबार फिर से सबको चौंका दिया है। सबके कयास धरे रह गए। भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक के पहले रामनाथ कोविंद का नाम किसी तरह की चर्चा में भी नहीं था। लेकिन, जब भाजपा की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर