‘बिहार में का बा’ बनाम ‘बिहार में ई बा’ की पड़ताल
बिहार चुनाव में एक तरफ जहां नीतीश कुमार की विकास पुरुष वाली छवि है, वहीं दूसरी तरफ लालू राज को जनता आज भी भूलने को तैयार नहीं है।
अमित शाह : चुनौतियों से लड़कर नई लकीर खींचने वाले नेता
अमित शाह एक ऐसे नेता हैं, जो न केवल नयी चुनौतियाँ लेते हैं बल्कि उन्हें पूरा करने के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा कर नयी लकीर खींचने में भी कामयाब रहते हैं।
‘बिहार अब लालू के लालटेन युग के अंधेरे से निकलकर एनडीए के विकास की रोशनी में चल रहा है’
बिहार अब लालू प्रसाद यादव एवं जनता दल के लालटेन युग वाले अंधेरे से बाहर निकल चुका है और नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की रोशनी में चल रहा है।
बिहार : लालू के जंगलराज से नीतीश के सुशासन तक
बिहार अपनी बौद्धिक-साहित्यिक-सांस्कृतिक सक्रियता एवं सजगता के लिए जाना जाता रहा है। परंतु लालू का शासन वह दौर था, जब जातीय घृणा की फसल को भरपूर बोया गया।
नरेंद्र मोदी : विशाल जनसमर्थन से युक्त नेतृत्व के बीस वर्ष
13 सितम्बर 2013 को नरेंद्र मोदी का नाम प्रधानमंत्री के तौर पर भाजपा ने घोषित किया था। मोदी ने प्रधानमंत्री के उम्मीदवार बनते ही सबसे पहले नारा दिया 272 प्लस
हाथरस मामले में हंगामा मचाने वाले राहुल-प्रियंका करौली की घटना पर मुंह में दही क्यों जमाए हैं ?
यदि राहुल और प्रियंका आम आदमी के इतने ही हिमायती हैं तो वे बलरामपुर और करौली क्यों नहीं गए। इस पर उन्होंने कोई ट्वीट क्यों नहीं किया।
पश्चिम बंगाल की राजनीतिक हिंसा बताती है कि राज्य में ममता बनर्जी की जमीन खिसक रही है
हम चुनाव के आंकड़ों में देख सकते हैं कि पश्चिम बंगाल में लगातार भारतीय जनता पार्टी सुदृढ़ होती जा रही है। मतलब साफ़ है कि जनता परिवर्तन चाहती है।
हिंसा ममता बनर्जी को रास आ सकती है, सोनार बांग्ला का स्वप्न देखने वाली बंगाल की जनता को नहीं
जिस पश्चिम बंगाल ने शांति निकेतन के माध्यम से पूरे विश्व को शांति का सन्देश दिया था, आज वह बंगाल ममता सरकार में बम की आवाज से दहल रहा है।
हाथरस प्रकरण के बहाने रची गयी दंगों की साज़िश के खुलासे से उपजते सवाल
हाथरस में हुई घटनाओं के संदर्भ में जाँच एजेंसियों के खुलासे ने भी इसकी पुष्टि कर दी है। जो तथ्य निकलकर सामने आए हैं, वे चौंकाने वाले हैं।
नरेंद्र मोदी : परिश्रम, पुरुषार्थ, त्याग और सेवा का दुर्लभ दृष्टांत प्रस्तुत करने वाले राजनेता
नरेंद्र मोदी जब कहते हैं कि राजनीति उनके लिए सत्ता व सुविधा की मंजिल नहीं, सेवा का माध्यम रही है तो उनका यह वक्तव्य अतिरेकी या अविश्वसनीय नहीं लगता।