महाराणा प्रताप : जिनका युद्ध-कौशल ही नहीं, सामाजिक-सांगठनिक कौशल भी अतुलनीय था
जिनका नाम लेते ही नस-नस में बिजलियाँ-सी कौंध जाती हों; धमनियों में उत्साह, शौर्य और पराक्रम का रक्त प्रवाहित होने लगता हो- ऐसे परम प्रतापी महाराणा प्रताप की आज जयंती है। आज का दिवस मूल्यांकन-विश्लेषण का दिवस है।
मकर संक्रांति : भारतीय संस्कृति के समरस स्वरूप का महोत्सव
मकर संक्रांति भारत में विविध रूप से मनायी जाती है। इसमें भारतीय संस्कृति की विविधता झलकती है। लेकिन भाव भूमि समान है।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारतीय संस्कृति वैश्विक अर्थव्यवस्था का केंद्र बिंदु बनने की ओर अग्रसर
भारतीय सनातन संस्कृति का पालन करते हुए भारत के आर्थिक विकास को देखकर अब विकसित देश भी भारतीय संस्कृति की ओर आकर्षित हो रहे हैं..
विश्व पटल पर छा रही भारतीय संस्कृति
भारत की अध्यक्षता में आज जी-20 के माध्यम से ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का भारतीय दर्शन विश्व को ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ की राह दिखा रहा है।
श्रावण विशेष : भारतीय संस्कृति की समन्वय-शक्ति के अधिष्ठाता देव हैं शिव
शिव के इस समन्वयकारी स्वरूप का विस्तार केवल उनके परिवार तक ही नहीं है, अपितु भारतीय लोक में भी उसकी स्पष्ट उपस्थिति दृष्टिगत होती है।
छठ पर्व हमें बताता है कि हर अस्त का उदय निश्चित है
छठ के हर सूप, हर गमले या डगरे में दूध या जल का दान बर्बादी नहीं बल्कि अर्घ्य-दान है, कृतज्ञ मानव का प्रकृति के प्रति यह अपनी ही तरह की श्रद्धाभिव्यक्ति है
आदि से अंत तक प्रकृति-प्रेम की भावना से पुष्ट लोकपर्व है छठ
भारत पर्वों का देश है। यहाँ एक पर्व बीतता नहीं कि अगला हाजिर हो जाता है। भारतीय पर्वों की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि वे किसी न किसी आस्था से प्रेरित होते हैं। अधिकाधिक पर्व अपने साथ किसी न किसी व्रत अथवा पूजा का संयोजन किए हुए हैं। ऐसे ही पर्वों की कड़ी में पूर्वी भारत में सुप्रसिद्ध छठ पूजा का नाम भी प्रमुख रूप से आता है।
स्वामी विवेकानंद के ‘विश्व-बंधुत्व’ के संदेश की प्रासंगिकता
आज हमें स्वामी विवेकानंद के 128 वर्ष पूर्व दिए उस सन्देश को याद करने की आवश्यकता है जो संसार को सहिष्णुता तथा सार्वभौम स्वीकृति, दोनों की शिक्षा देता है।
योग : भारत की सपूर्ण विश्व के लिए सौगात
योग में निहित आसन और प्राणायाम हमे दैनिक जीवन में रोग से मुक्त तो रखते ही हैं, लेकिन योग मात्र आसन, प्राणायाम और मुद्राएं ही नहीं बल्कि योग जीवन जीने की पद्धति है।
स्वामी विवेकानंद : भारत का भारत से साक्षात्कार कराने वाले युगद्रष्टा संत
आदि शंकराचार्य ने संपूर्ण भारतवर्ष को सांस्कृतिक एकता के मज़बूत सूत्र में पिरोया, वहीं स्वामी विवेकानंद ने आधुनिक भारत को उसके स्वत्व एवं गौरव का बोध कराया।