गंगा-यमुना के बाद अब नर्मदा को भी मिले जीवित मनुष्यों के समान अधिकार
जब उत्तराखंड के नैनीताल उच्च न्यायालय ने मोक्षदायिनी माँ गंगा नदी को मनुष्य के समान अधिकार देने का ऐतिहासिक निर्णय सुनाया था और गंगा नदी को भारत की पहली जीवित इकाई के रूप में मान्यता दी थी, तब ही शिवराज सिंह चौहान के मन में यह विचार जन्म ले चुका था। वह भी सेवा यात्रा के दौरान नर्मदा नदी को मनुष्य के समान दर्जा देने के लिए उचित अवसर की प्रतीक्षा कर
ये हैं वो बातें जो बनाती हैं नरेंद्र मोदी को देश का सर्वाधिक लोकप्रिय नेता !
मोदी की छवि एक विकास पुरुष की है, जो जाति-धर्म और आरोप-प्रत्यारोप की व्यर्थ राजनीति से परे होकर केवल देश हित में चौबीस घंटे काम करता है। वे स्वयं बिना अवकाश लिए तीन साल से लगातार काम कर रहे हैं और नौकरशाहों को भी प्रेरित कर रहे हैं। दरअसल ऐसी तमाम बातें हैं जो वर्तमान में नरेंद्र मोदी को देश का सर्वाधिक लोकप्रिय नेता बनाती हैं। ऐसा लोकप्रिय नेता जिसके
मोदी सरकार के नेतृत्व में परिवर्तन की ओर अग्रसर भारत
उत्तर प्रदेश के नतीजों के तुरंत बाद उमर अब्दुल्लाह ने कहा था कि “विपक्ष को अब 2024 की तैयारी करनी चाहिए; 2019 में उसके लिए खास उम्मीद नहीं है”। उमर अब्दुल्ला ने संभवत: वर्तमान राजनीति की उस हक़ीकत को स्वीकारने का प्रयास किया, जिसे पूरा विपक्ष कहीं न कहीं समझ तो रहा है, मगर स्वीकार नहीं रहा। यद्यपि 2019 अभी दूर है; परंतु जमीनी हकीकत और तमाम समीकरणों को देखते हुए पूरी संभावना
एशिया में भी अलग-थलग पड़ा पाक, बांग्लादेश से भी बिगड़े सम्बन्ध
बांग्लादेश-पाकिस्तान कभी एक थे। अब दोनों के संबंध दुश्मनों की तरह के हो गए हैं। हाल के दिनों में दोनों देशों के संबंधों में काफी तल्खी आती नज़र आ रही है, जिसे भारत के लिहाज से अच्छा संकेत कहा जा सकता है। दरअसल बांग्लादेश ने 1971 के नरसंहार के गुनाहगार और जमात-ए-इस्लामी के नेता कासिम अली को कुछ समय पहले फांसी पर लटकाया। इस पर पाकिस्तान ने आपत्ति जताई। बांग्लादेश ने दो टूक
‘मेक इन इंडिया’ के आगे धराशायी हुआ ‘मेड इन चाइना’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए मेक इन इंडिया अभियान का असर दिखना शुरू हो गया है। चीनी उत्पादों के बाजार के समक्ष अक्सर बौने साबित होने वाले भारतीय उत्पादों का लोहा अब दुनिया भी मानने लगी है। हाल ही में यूरोपीय संघ समेत दुनिया के 49 देशों के उत्पादों की गुणवत्ता को लेकर किए गए एक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में भारत को 36 अंक दिए गए है, जबकि पड़ोसी मुल्क चीन को 28 अंको के
आज़ाद भारत के पुनर्निर्माण के प्रति चिंतित थे दीनदयाल उपाध्याय
देेश जब गुलामी के दौर से गुजर रहा था, उस समय देश के नागरिकों और तत्कालीन नेताओं, बुद्धिजीवियों, छात्रों एवं समाजसेवियों का एक मात्र उद्देश्य था कि देश को अग्रेजों से आजाद कराया जाए। भारत माँ की गुलामी की बेड़ियों को किस प्रकार से तोड़ा जाए। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए, इस देश के असंख्य आजादी के दीवानों ने अपने-अपने तरीके से कार्य किया तथा आजादी की लड़ाई लड़ी। इनमें कई वर्ग ऐसे थे
भारत-यूएई सम्बन्ध : बढ़ेगी भारत की ताक़त, हलकान होगा पाकिस्तान
मोदी सरकार के सत्तारूढ़ होने के बाद से ही देश की विदेशनीति को नये आयाम मिले हैं। अमेरिका, यूरोप समेत एशिया के भी अनेक देशों से भारत के संबंधों में एक नयी मजबूती आयी है। अपनी कामयाब विदेशनीति की कड़ी में पीएम मोदी ने एक और दोस्त बनाया है। अब प्रधानमंत्री मोदी द्वारा संयुक्त अरब अमीरात के साथ भारत के संबंधों को न केवल नये ढंग से मज़बूत बनाने बल्कि उनको सही दिशा में ले जाने
युवा दिवस : स्वामी विवेकानंद से प्रेरणा लें देश के युवा
युवा शक्ति देश और समाज की रीढ़ होती है। युवा देश और समाज को नए शिखर पर ले जाते हैं। युवा देश का वर्तमान हैं, तो भूतकाल और भविष्य के सेतु भी हैं। युवा देश और समाज के जीवन मूल्यों के प्रतीक हैं। युवा गहन ऊर्जा और उच्च महत्वकांक्षाओं से भरे हुए होते हैं। उनकी आंखों में भविष्य के इंद्रधनुषी स्वप्न होते हैं। समाज को बेहतर बनाने और राष्ट्र के निर्माण में सर्वाधिक योगदान युवाओं का ही होता है।
अग्नि-5 का हुआ सफल परीक्षण, भारत की तरफ आँख उठाने से पहले सौ बार सोचेंगे चीन-पाक
भारत ने अपने रक्षातंत्र को मजबूत करते हुए, अग्नि पंचम को अपने बेड़े में शामिल किया हैं, जो कि अन्तरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा निर्मित इस प्रक्षेपास्त्र के आने के बाद अब आधी दुनिया भारत की जद में होगी और पाकिस्तान के साथ चीन जैसे पड़ोसी मुल्क अब अपने हलक से ज़ुबान निकालने में जरूर एक मर्तबा सोचने को विवश होंगे। देश की यह अत्याधुनिक
भारतीयता के प्रबल पक्षधर थे दत्तोपंत ठेंगड़ी
स्वदेशी आंदोलन के सुत्रधार और महान सेनानी दत्तोपंत ठेंगड़ी जी भारतीयता के सबसे बड़े पैरोकार थे। इस विषय पर वे किसी भी परिस्थिति से समझौता करने के लिए तैयार नहीं थे, इसके बाद भी वह आधुनिकता के प्रबल पक्षधर थे। उनका कहना था कि ‘ऐसी आधुनिकता जो हमें हमारी जड़ों से जोड़कर रखे’ जबकि पश्चिम के अंधानुकरण के कीमत पर वो आधुनिकता को स्वीकार करने के विरुद्ध थे। भारतीय संस्कृति