राजनीति के आदर्श प्रतिमान हैं श्रीकृष्ण
नए निर्माण के पथ में आने वाले प्रत्येक अवरोध को, चाहे वह कितना भी प्रतिष्ठित क्यों न हो; हटाना ही होगा। यही श्रीकृष्ण की राजनीति का मूलमंत्र है।
जन्माष्टमी विशेष : श्रीकृष्ण की धर्म नीति
लोकमंगल के निर्मल-जल में ही धर्म का कमल खिल सकता है। कृष्ण की धर्मदृष्टि इसी दर्शन से अनुप्राणित है। इसीलिए धर्म के संदर्भ में शाश्वत है, सार्वभौमिक है।