साध्वी प्रज्ञा के चुनाव में उतरने से विपक्षी दलों को इतनी तकलीफ क्यों है?
हमारे इन विपक्षी राजनैतिक दलों का यही चरित्र है कि वो तथ्यों का उपयोग और उनकी व्याख्या अपनी सुविधानुसार करते हैं। इन दलों को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर अनेक महत्वपूर्ण पदों पर बैठे नेता जो आज जमानत पर हैं और चुनाव भी लड़ रहे हैं उनसे नहीं लेकिन साध्वी से ऐतराज़ होता है। इन्हें देशविरोधी नारे लगाने के आरोपी और जमानत
भोपाल में आयोजित लोकमंथन से एक नई राह की उम्मीद
समाज जीवन के विविध क्षेत्रों में कार्यरत युवा एक होकर, एक मंच पर आकर अगर राष्ट्र सर्वोपरि की भावना के साथ देश के संकटों का हल खोजें तो इससे अच्छी क्या बात हो सकती है। भोपाल में 12 से 14 नवंबर को तीन दिन के लोकमंथन नामक आयोजन की टैगलाइन ही है-“’राष्ट्र सर्वोपरि’ विचारकों एवं कर्मशीलों का राष्ट्रीय विमर्श।” जाहिर तौर पर एक सरकारी आयोजन की इस प्रकार की भावना
लोक मंथन : अतीत की शिक्षाओं से उज्ज्वल भविष्य के निर्माण का प्रयास
आगामी 12, 13 और 14 नवंबर को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में लोक मंथन कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है। जैसा कि इस आयोजन का नाम अपने विषय में स्वयं ही बता रहा है, लोक के साथ मंथन। किसी भी समाज की उन्नति में विचार-विमर्श एवं चिंतन का एक महत्वपूर्ण स्थान होता है और जब इस मंथन में लोक शामिल हो जाता है तो वह उस राष्ट्र के भविष्य के लिए सोने पर सुहागा सिद्ध होता है। लेकिन, यहाँ
लोक मंथन : लोक का अर्थ, मंथन की परंपरा और राष्ट्रीय आयोजन
मंथन भारत का आधारभूत तत्व है, इसलिए विमर्श के बिना भारत की कल्पना भी की जाएगी तो वह अधूरी प्रतीत होगी। यहां लोकतंत्र शासन व्यवस्था की सफलता का कारण भी यही है कि वेद, श्रुति, स्मृति, पुराण से लेकर संपूर्ण भारतीय वांग्मय, साहित्य संबंधित पुस्तकों और चहुंओर व्याप्त संस्कृति के विविध आयामों में लोक का सुख, लोक के दुख का नाश, सर्वे भवन्तु सुखिन: और जन हिताय-जन सुखाय की भावना ही
भोपाल मुठभेड़ पर दिग्विजय सिंह के बड़बोले बयानों से सवालों के घेरे में कांग्रेस
एक कहावत है कि सत्य की अनदेखी वही करता है जिसे असत्य से लाभ हो। ऐसे ही एक सत्य की अनदेखी फिर देश के कतिपय सियासतदानों द्वारा की जा रही है जो जांच से पहले ही इस नतीजे पर पहुंच गए हैं कि भोपाल के केंद्रीय जेल से फरार प्रतिबंधित संगठन सिमी (स्टूडेंट इस्लामिक मुवमेंट ऑफ इंडिया) के आठ आतंकियों से पुलिस की हुई मुठभेड़ फर्जी है। हो सकता है कि मुठभेड़ के बाद का परिदृश्य