शिवराज की सक्रियता से एमपी में कोरोना संक्रमण को नियंत्रित रखने में प्रभावी रहा है लॉकडाउन
कोरोना महामारी से जीतने के लिए सबसे महत्वपूर्ण और प्राथमिक उपाय है- लॉकडाउन। कोरोना संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ने के साथ ही कोरोना संक्रमितों की पहचान करने में भी लॉकडाउन प्रभावी है। आज मध्यप्रदेश में स्थितियां नियंत्रण में दिख रही हैं, तो वह इसलिए कि सरकार ने लॉकडाउन का पालन ठीक से कराया।
कोरोना, संवेदना और शिवराज : राजसत्ता को सामाजिक सरोकारों से जोड़ने की हो रही पहल
मनुष्यों की तरह सरकारों का भी भाग्य होता है। कई बार सरकारें आती हैं और सुगमता से किसी बड़ी चुनौती और संकट का सामना किए बिना अपना कार्यकाल पूरा करती हैं। कई बार ऐसा होता है कि उनके हिस्से तमाम दैवी आपदाएं, प्राकृतिक झंझावात और संकट होते हैं। इस बार सत्तारुढ़ होते ही मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ऐसे ही संकटों से दो-चार हैं।
छत्तीसगढ़ : कांग्रेस राज में जनता का अपनी समस्याओं पर बात करना राजद्रोह कैसे हो गया?
बिजली कटौती पर सोशल मीडिया पर विरोध प्रकट करना क्या है, यह अभिव्यक्ति ही तो है। आखिर पुलिस ने किस अधिकार से लोगों को गिरफ्तार कर लिया। यदि ऐसे ही गिरफ्तारी होने लगी तो कल से सारे कारागार, सारी जेलें कम पड़ जाएंगी क्योंकि सोशल मीडिया पर तो दिन-रात पक्ष-विपक्ष की बहसें खुलेआम चलती ही रहती हैं।
मध्य प्रदेश : किसानों के साथ छलावा साबित हो रही कांग्रेस की कर्जमाफी
मध्य प्रदेश में कांग्रेस की नवगठित सरकार अपने गठन के बाद से एक के बाद एक नकारात्मक कारणों से चर्चा में है। अब कर्जमाफी को ही लीजिये। मप्र में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने किसानों को लुभाने के लिए कर्जमाफी का लुभावना वादा किया था। जब कांग्रेस जीतकर सत्ता में आ गई तो वादे पूरे करने की सूची में कर्जमाफी सबसे शीर्ष क्रम पर थी।
क्यों उठ रहे हैं कमलनाथ सरकार की कर्जमाफी पर सवाल?
मध्य प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार का गठन हो चुका है। मुख्यमंत्री बनते ही कमलनाथ ने पार्टी के बड़े चुनावी वादे किसान कर्जमाफ़ी का ऐलान भी कर दिया है। चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस द्वारा जारी वचन-पत्र से लेकर राहुल गांधी के भाषणों तक में कर्जमाफी का वादा प्रमुखता से दिखाई दिया था। जाहिर है, कांग्रेस पर इस वादे को पूरा करने को लेकर
‘कमलनाथ के बयान पर हैरानी नहीं होती, क्योंकि कांग्रेस की राजनीति का मूल चरित्र यही है’
मध्य प्रदेश में इस सप्ताह नई सरकार की आधिकारिक शुरुआत हो गई। सप्ताह की शुरुआत में ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और नव-निर्वाचित मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शपथ ग्रहण की और पदभार ग्रहण किया। कार्यभार संभालते ही जिस तरह से उन्होंने जहां महज सुर्खियां बटोरने के लिए बिना किसी योजना-मंत्रणा के किसानों की कर्ज माफी का ऐलान कर दिया, वहीं दूसरी तरफ देश
मुद्दे के अभाव में ‘खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे’ जैसी हो रही कांग्रेस नेताओं की हालत
देश के पांच राज्यों में चुनावी बिगुल बज चुका है। छत्तीसगढ़ में दोनों चरणों के मतदान हो चुके हैं और मध्यप्रदेश, राजस्थान में आने वाले दिनों में मतदान होना शेष है। चूंकि मध्यप्रदेश के मतदान का समय पहले आ रहा है, ऐसे में यहां बीजेपी व कांग्रेस दोनों दलों के राष्ट्रीय नेताओं के आने व सभाओं का सिलसिला इन दिनों जोरों पर है। अब बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं के बीच
कांग्रेस की राजनीति का असली चाल-चरित्र बयान करता है कमलनाथ का वायरल वीडियो
जो बात दिल में थी, वह जुबां पर आ गई। अब उस सच के ऊपर पर्दा नहीं डाला जा सकता। कांग्रेस का झूठ पकड़ा गया है। मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने दिल की बात कहकर न सिर्फ अपने लिए बल्कि अपनी पार्टी के लिए बहुत बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है।
कांग्रेस के लिए जीवन-मरण का प्रश्न हैं पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव
पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की आधिकारिक घोषणा के साथ ही सत्ता का सेमिफाइनल शुरू हो गया है। रणभेरियाँ बज चुकी हैं। वैसे तो यह राज्यों का चुनाव है, लेकिन इन्हीं प्रदेशों की राजधानियों से निकलकर आगे रास्ता दिल्ली के लिए जाएगा। इन पाँचों राज्यों में मध्य प्रदेश, छतीसगढ़ और राजस्थान के चुनाव पर सबकी विशेष नजर है। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में
इन तथ्यों से साफ हो जाता है कि राजनीति की उपज है मध्य प्रदेश का किसान आंदोलन !
यह एक हद तक सही है कि देश में किसानों की माली हालत ठीक नहीं है, लेकिन पिछले दिनों जिस तरह अचानक देश के कई हिस्सों में किसानों का आंदोलन उठ खड़ा हुआ, उससे 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सक्रिय हुए पुरस्कार वापसी गिरोह की याद ताजा हो उठी। बाद में किसानों को आंदोलन के लिए भड़काने, सड़कों पर दूध बहाने से लेकर सब्जी फेंकने तक में कांग्रेसी नेताओं की संलिप्तता के ऑडियो-वीडियो