चार दशकों के राजनीतिक सफर में हर अवसर पर विफल रहे हैं मनमोहन सिंह
एक पत्रकार वार्ता (जनवरी 2014) में डॉ मनमोहन सिंह ने कहा था कि मेरा मूल्यांकन इतिहास करेगा। इसमें कोई शक नहीं कि चार दशक तक किसी एक राजनीतिक दल के साथ पूरी वफादारी और राजनीतिक निष्ठा से सरकार में शीर्ष पदों पर काम करने वाले व्यक्ति का मूल्यांकन होना स्वाभाविक है। इसमें कोई शक नहीं कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में डॉ मनमोहन सिंह उन चंद लोगों में से एक हैं, जिन्हें
मोदी सरकार को अर्थनीति सिखाने से पहले ज़रा अपनी गिरेबान में तो झाँक लीजिये, मनमोहन सिंह जी!
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी, संसद में आपकी इस तकरीर कि नोटबंदी संगठित और कानूनी लूट-खसोट है और इस फैसले से देश के किसानों और उद्योगों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा, ने कुल मिलाकर देश को हंसते-हंसते लोटपोट हो जाने का ही मौका दिया है। आपका यह प्रवचन ठीक उसी प्रकार है, जैसे कोई रोगी वैद्य किसी मरीज को बेहतर दवाओं का नुस्खा बताता है। आपको भान होना चाहिए कि स्वयं
मोदी सरकार को किस मुँह से अर्थशास्त्र सिखा रहे हैं, मनमोहन सिंह ?
संसद में नोटबंदी पर जारी बहस में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी आखिर अपनी बात रखी। चूंकि बतौर अर्थशास्त्री उनकी ख्याति विश्वस्तरीय है, इसलिए उम्मीद थी कि इस आर्थिक निर्णय का वे आर्थिक दृष्टि से मूल्यांकन करेंगे। लेकिन, अपने लगभग पंद्रह मिनट के वक्तव्य में मनमोहन सिंह ने जिस तरह से इस निर्णय की उसी अतार्किक ढंग और लीक जिसपर उनकी पार्टी के बाकी नेता चल रहे हैं, पर