बदलावों का वाहक बनता ‘मन की बात’ कार्यक्रम
मन की बात अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सके, इसके लिए इसका अनुवाद अंग्रेजी को छोड़कर 22 भाषाओं, 29 बोलियों और 11 विदेशी भाषाओं में किया जाता है।
अपनी संवाद कला से लोगों का दिल जीत लेते हैं प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री मोदी बोलते हैं तो देश ही नहीं, दुनिया के कान उनके वक्तव्य पर टिके होते हैं। मोदी को चाहने वाले ही नहीं, उनके आलोचक भी अत्यंत ध्यानपूर्वक उन्हें सुनते हैं।
मन की बात : जनसंवाद की नई इबारत लिखने वाला कार्यक्रम
आज 22 भारतीय भाषाओं और 29 बोलियों के अलावा फ्रेंच, चीनी, इंडोनेशियाई, तिब्बती, बर्मी आदि 11 विदेशी भाषाओं में भी ‘मन की बात’ का प्रसारण होता है।
‘वोकल फॉर लोकल’ से खुलेगी आत्मनिर्भरता की राह
प्रधानमंत्री मोदी ने दीपावली तथा उसके आगे के त्योहारों के लिए लोगों से स्थानीय उत्पादों की खरीदारी करके ‘वोकल फॉर लोकल’ को आगे बढ़ाने का आह्वान किया।
‘मन की बात’ कार्यक्रम पर आधारित एक उपयोगी पुस्तक
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पदभार सँभालने के बाद से ही जनमानस से जुड़ाव की कई सकारात्मक कोशिशें की हैं। मन की बात कार्यक्रम में आमजन से संवाद करना, ऐसा ही एक प्रभावी कदम रहा। प्रधानमंत्री का यह कार्यक्रम न केवल लोकप्रिय बना बल्कि आमजन को जागरूक करने में भी अहम् भूमिका निभाई। इस मासिक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने वाकई मन की बात की जिसका सीधा प्रसारण रेडियो, दूरदर्शन और
‘मन की बात’ से बढ़ी रियो ओलंपिक में पदक जीतने की उम्मीद
विगत कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब ‘मन की बात’ में भारतीय खेलों को बेहतर बनाने की बात कही तो भारतीय खेल और खिलाड़ियों के साथ-साथ देशवासियों को उम्मीद की एक नयी किरण दिखाई दी। दरअसल यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर पूरे देश को मिलकर विचार करना पड़ेगा यह केवल अकेले सरकार का मसला नहीं है। हर बार जब देश के खिलाड़ी पदक जितने में कामयाब नहीं होते हैं अथवा इक्के-दुक्के होते हैं तो देश भर में एक चर्चा आम हो जाती है कि आखिर इतनी बड़ी आबादी में से नाम मात्र के खीलाड़ी ही पदक क्यों जीतते हैं?। लेकिन कभी भी किसी भी स्तर पर इसके समाधान के बारे नहीं सोचा गया।