मस्जिद

काशी सर्वप्रकाशिका : सनातन सत्य की विजय सुनिश्चित है

काशी के प्रकाश को अब भी ये समझ नहीं पा रहे, दीवार पे लिखी इबारत ये पढ़ नहीं पा रहे! मस्जिद किसी दूसरे की छिनी ज़मीन पर ज़बरदस्ती नहीं बनायी जा सकती।

‘भारतीय कम्युनिस्टों का चरित्र ऐसा है कि वे किसी के सगे नहीं हो सकते सिवाय अपने स्वार्थों के’

वो वामपंथी उदारवादी जो असहमत होने के अधिकार को संविधान द्वारा दिया गया सबसे बड़ा अधिकार मानते हैं, वही दूसरों की असहमति को स्वीकार नहीं कर पाते।