महाकाव्य

रामचरितमानस प्रकरण : ‘निंदा या आलोचना केवल हिंदू ग्रंथों की हो सकती है, ऐसी उदारता अन्यत्र दुर्लभ है’

वस्तुतः रामचरितमानस के प्रत्येक प्रसंग आध्यात्मिक ऊर्जा के स्रोत हैं। भक्ति के धरातल पर पहुंच कर ही इसका अनुभव किया जा सकता है।