रोहिंग्या पर उचित और सराहनीय है केंद्र सरकार का रुख
भारत कभी भी शरणार्थी बनने में पीछे नहीं हटा है; यहूदी, पारसी जैसे कई धर्म यहाँ बसते हैं। लेकिन, राष्ट्रीय सुरक्षा को संकट में डालकर किसीको शरण देना किसी लिहाज से उचित नहीं है। रोहिंग्याओं के प्रति भारत सरकार ने शरण न देने का जो स्पष्ट और सख्त रुख अख्तियार किया है, वो न केवल उचित बल्कि प्रशंसनीय भी है।
देश के लिए हर तरह से घातक हैं रोहिंग्या, नहीं दी जा सकती शरण !
रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में शरण देने की मांग हो रही है। ये कथित मानवतावादी जान लें कि राष्ट्रीय सुरक्षा नाम की चीज भी होती है। देश पहले ही कश्मीर, नक्सली, गरीबी, बेरोजगारी आदि समस्याओं से जूझ रहा है। ऐसे में, देश अपने सीमित संसाधनों को रोहिंग्या पर लुटाने के लिए तैयार नहीं है। खुद पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जरदारी ने रोहिंग्याओ को पाकिस्तान में शरण देने का विरोध किया है। बांग्लादेश रोहिंग्याओ को
ये मुसलमानों का तुष्टिकरण करने वाली नहीं, उनके समग्र विकास के लिए काम करने वाली सरकार है !
भले ही उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी अपने सेवाकाल के आखिरी दिन मुसलमानों में असुरक्षा और घबराहट की भावना की बात कही हो, लेकिन स्वयंभू गोरक्षकों की छिटपुट गतिविधियों को छोड़ दिया जाए तो पूरे देश में अमन-चैन कायम है। 2014 के लोक सभा चुनाव के पहले विरोधी नेताओं ने नरेंद्र मोदी के खिलाफ जिस प्रकार का नकारात्मक माहौल बनाया था, वह निर्मूल साबित हुआ। सत्ता में आने के बाद से ही मोदी
जो मज़हब किसीके डांस करने या चेस खेलने से खतरे में पड़ जाता हो, उसे खत्म ही हो जाना चाहिए !
इस्लाम शायद ऐसा एकमात्र मज़हब है, जो आए दिन और बात-बेबात ख़तरे में पड़ता रहता है। किसी भी मुसलमान के गाना गाने, नाचने से लेकर बनाव-श्रृंगार करने तक से इस्लाम पर खतरा आ जाता है। फिर इसके स्वघोषित झंडाबरदारों द्वारा धमकी भरे फतवों का दौर शुरू हो जाता है। इतना ही नहीं, अगर इन्हें राष्ट्रगीत ‘वन्दे मातरम्’ गाने को कह दो तो उससे भी अक्सर इनके इस्लाम पर संकट आ जाता है। राष्ट्रगान के कई शब्दों
ममता बनर्जी की तुष्टिकरण की राजनीति के कारण हिंसा की आग में जलता बंगाल
पश्चिम बंगाल में एकबार फिर सांप्रदायिक हिंसा की आग भड़क उठी है। सूबे के उत्तरी परगना जिले के बसिरहाट के बादुरिया में एक युवक द्वारा फेसबुक पर की गयी कथित आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर राज्य के कई हिस्सों में सांप्रदायिक तनाव और हिंसा ने जन्म ले लिया। साफ़ शब्दों में मामले को समझें तो ख़बरों के अनुसार, सौरव सरकार नाम के एक बारहवीं में पढ़ने वाले लड़के ने बीती दो जुलाई को अपनी फेसबुक वाल पर
अपने मौकापरस्त रहनुमाओं के कारण पिछड़ते मुसलमान
2014 के लोक सभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस पार्टी दो साल से इफ्तार पार्टी नहीं दे रही है। उत्तर प्रदेश में तो हद हो गई जब प्रदेश कांग्रेस ने दावत का निमंत्रण पत्र भेजने, होटल क्लार्क का मैदान बुक करने और मेन्यू तय होने के बावजूद आलाकमान के निर्देश पर अचानक इफ्तार पार्टी रद्द कर दी। यह वही कांग्रेस है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री निवास पर इफ्तार पार्टी न दिए
भारत में अल्पसंख्यक कौन ?
भारत में अल्पसंख्यक कौन ? यह सवाल अकसर उठता रहता है, लेकिन इसका माकूल जवाब अभी तक नहीं मिल सका है। सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर के एक वकील द्वारा दायर की गयी जनहित याचिका में इस संबंध में भाषा और धर्म के आधार पर अल्पसंख्यक समुदाय के पहचान को परिभाषित करने की मांग की गयी है। चूँकि 2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक़ जम्मू-कश्मीर में 68 फीसद जनसंख्या
मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का दमन करने वाला है तीन तलाक, लगना चाहिए प्रतिबन्ध
तीन तलाक का मामला चर्चा में बना हुआ है। 1937 में मुस्लिम पर्सनल क़ानून यानि शरिया में मिले इस अधिकार ने देश भर में लाखों नुस्लिम महिलाओं की ज़िन्दगी के साथ खिलवाड़ किया है। स्त्री-पुरुष असमानता सहित मुस्लिम औरतों के बुनियादी हक़ से उन्हें वंचित वाली इस शरियाई व्यवस्था पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग करते हुए 50,000 से ज्यादा दस्तख़त वाला एक मांगपत्र प्रधानमंत्री को भेजा जा चुका है और अब
फिर खुली कांग्रेस की धर्मनिरपेक्ष राजनीति की पोल !
अक्सर अपने धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक दल होने का दम भरने और भाजपा जैसे दलों पर सांप्रदायिक रानजीति का आरोप लगाने वाली कांग्रेस की कथित धर्मनिरपेक्ष राजनीति की कलई एकबार फिर खुल गई है। उत्तराखंड की कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री हरीश रावत साहब ने राज्य के मुस्लिम कर्मचारियों को जुमे की नमाज़ के लिए डेढ़ घंटे की छुट्टी दिये जाने का ऐलान कर कांग्रेसी धर्मनिरपेक्षता का शानदार उदाहरण
धर्मनिरपेक्षता की आड़ में मज़हबी तुष्टिकरण करना ही है कांग्रेस का मूल चरित्र
खुद को धर्मनिरपेक्षता की जननी बताने वाली कांग्रेस पार्टी के नेता और उत्तराखंड के मौजूदा मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मुस्लिम कर्मचारियों के लिये 90 मिनट का अवकाश तय किया है। ये अवकाश उन्हें नमाज़ अदा करने के लिये मिलेगा। इस विषय से संबंधित प्रस्ताव कैबिनेट में पास भी हो गया है। दरअसल कांग्रेस का यह चुनावी पैंतरा है, इससे ज्यादा कुछ नहीं है। जिस प्रांत में अराजकता, भ्रष्टाचार और लचर कानून