बड़े बाजार के रूप में स्थापित होने के बाद अब वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित होता भारत
वैश्विक स्तर पर भारत एक बड़े बाजार के रूप में स्थापित होने के बाद अब विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित हो रहा है। मेक इन इंडिया बड़ी ताकत बनता जा रहा है।
रक्षा उत्पादन : स्वदेशी मिशन के बढ़ते कदम
रक्षा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने का ही नतीजा है कि आज दुनिया भर में भारत में बनी बुलेटप्रूफ जैकेट की मांग है।
रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता भारत
मोदी सरकार देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में जुटी है। इससे न सिर्फ लाखों करोड़ रूपये की विदेशी मुद्रा की बचत होगी बल्कि सैन्य उपकरणों के बहुत बड़े बाजार में भागीदारी का मौका भी मिलेगा।
मोदी 2.0 : चुनौतियों को अवसर में तब्दील करने वाले दो वर्ष
मोदी ने सूझबूझ का परिचय देते हुए तीन महीने का सख्त लॉकडाउन लगाया एवं बाद में अनलॉक जैसे उपायों को ढील के साथ श्रृंखलाबद्ध रूप से लागू किया।
घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देगी पीएलआई स्कीम
दशकों की उपेक्षा से आयात केंद्रित अर्थव्यवस्था बन चुके देश को विनिर्माण धुरी बनाना आसान नहीं है। इसके लिए बहुआयामी उपाय करने होंगे। पीएलआई उसी प्रकार का उपाय है।
लाल किले की प्राचीर से आत्मनिर्भर भारत का संदेश
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में आगे बढ़ने के लिए नई शिक्षा नीति का एक बड़ा योगदान होगा, लेकिन यह कुछ महीनों में हासिल होगा, ऐसा हमें नहीं सोचना चाहिए।
कोरोना आपदा के समय में भी घरेलू उत्पादन बढ़ाने में कामयाब रही मोदी सरकार
जिस देश में सूखा, बाढ़, भूकंप जैसी कुदरती आपदाओं के समय में राहत सामग्री के नाम पर घोटालों का रिकॉर्ड रहा हो उस देश में कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से देशवासियों को बचाने साथ-साथ घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना एक बड़ी उपलब्धि है।
इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण की धुरी बनने की ओर बढ़ता भारत
वोट बैंक की राजनीति करने वाली पिछली कांग्रेसी सरकारों ने भारत में नवोन्मेषी संस्कृति के विकास की ओर कभी ध्यान ही नहीं दिया। उनका पूरा जोर दान-दक्षिणा वाली योजनाओं पर रहता था ताकि वोट बैंक की राजनीति चलती रहे। इस स्थिति को बदलने के लिए मोदी सरकार ने शोध व विकास संस्थानों, विश्वविद्यालयों और निजी क्षेत्र से देश को इनोवेशन हब में बदलने का आह्वान किया है।
घरेलू रक्षा उत्पादन में क्रांति लाने में कामयाब रही मोदी सरकार
जिस देश में एक पर्व (विजयदशमी) विशेष रूप में शस्त्र पूजन के लिए हो वह देश दुनिया में हथियारों का अग्रणी आयातक हो तो इसे विडंबना ही कहा जाएगा। देश में अस्त्र-शस्त्र निर्माण की बहुत पुरानी परंपरा रही है। आधुनिक संदर्भ में देखें तो भारतीय रक्षा उद्योग की नींव 200 साल पहले ब्रिटिश काल में रखी गई।
रंग ला रही है मोदी सरकार की मेक इन इंडिया मुहिम!
आजादी के बाद से ही तुष्टिकरण और वोट बैंक की राजनीति में उलझी सरकारों ने देश की विशाल आबादी को संपदा न मानकर आपदा माना और उन्हें आपस में उलझाए रखने का काम किया। बांटो और राज करो की नीति पर चलने वाली सरकारों का पूरा जोर येन-केन प्रकारेण चुनाव जीतने और उसके बाद अपनी झोली भरने पर रहता था। इंदिरा गांधी की नीतिशून्य राजनीति के दौर