मोदी

अगर जय शाह ने कुछ भी गलत किया होता तो मानहानि का दावा करने की हिम्मत नहीं दिखाते !

कांग्रेस को लगता है कि दूसरों पर भ्रष्टचार के आरोप लगाने से उसकी छवि निखर जाएगी। इस प्रयास में वह कई बार जल्दीबाजी कर देती है। इसके बाद उसे फजीहत उठानी पड़ती है। मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से वह ऐसा कर रही है। अनेक मुद्दे उठाए। नरेंद्र मोदी तक को घेरने का प्रयास किया। कई बार सांसद में भी हंगामा किया। लेकिन, केजरीवाल की तरह किसी मसले को न्यायपालिका तक ले जाने की हिम्मत

जय शाह पर आरोप लगाने वाला खेमा मानहानि के मुकदमे से इतना असहज क्यों है ?

पिछले दिनों एक वेबसाइट पर छपे एक लेख में बीजेपी अध्यक्ष अमित भाई शाह के पुत्र जय शाह पर उल-जुलूल तथ्यों के जरिये आरोप लगाया गया कि केंद्र भाजपा की सरकार आने के बाद उनकी कंपनी साल भर में ही अमीर बन गई। लेख की प्रकाशक वेबसाइट, जिसमें ज़्यादातर वामपंथी विचारधारा के लोग शामिल हैं, ने सियासी रंग में रंगकर इस लेख को दुनिया के सामने परोसा।

प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा से बनारस के विकास को मिली और रफ़्तार !

अपनी बनारस यात्रा के द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनारस के विकास को सुनिश्चित करने की कोशिश की है। हालाँकि, नोट बंदी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह पहली बनारस यात्रा है, लेकिन समग्र रूप से यह दसवीं यात्रा है। वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री ने बनारस की 5 बार यात्रा की थी। सबसे पहले 7 नवंबर, 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनारस गये थे। उसके बाद उन्होंने 8 नवंबर, 2014, 25 दिसंबर, 2014, 18 सितंबर,

2019 में क्यों अजेय नजर आ रहे मोदी ?

2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए रणभेरियां अभी से बज चुकी हैं। राजनीतिक पार्टियां भी अपने-अपने वैचारिक धरातल को तैयार करने में लग गई हैं। भारतीय जनता पार्टी ने अपनी दो दिवसीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई, वहीं राहुल गाँधी ने गुजरात की धार्मिक नगरी द्वारिका से अपना चुनाव अभियान शुरू कर दिया है।

भारतीय राजनीति के करिश्माई व्यक्तित्व हैं अमित शाह

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का दो दिवसीय उत्तराखण्ड दौरा न केवल अनूठा है, अपितु संपूर्ण राजनीतिक प्रतिष्ठान के लिए एक लंबी लकीर खींचने वाला भी साबित होगा। अमित शाह अपने दो दिनी प्रवास में पार्टी की सबसे छोटी इकाई ‘मडंल’ के पदाधिकारियों से लेकर प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं और मंत्रियों-विधायकों के साथ ताबडतोड़ बैठकें करेंगे। साथ ही, बुद्धिजीवियों से भी संवाद स्थापित करेंगे।

बर्कले संबोधन : बड़बोलेपन में खुद ही खुद की पोल-पट्टी खोलते गए राहुल गांधी !

कांग्रेस के उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी पिछले सप्‍ताह अपने अमेरिका दौरे को लेकर चर्चाओं में रहे। वहां यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया, बर्कले में उन्‍होंने अपना भाषण दिया जिसमें मोदी सरकार की योजनाओं की आलोचना की और खुद को पाक साफ बताया। उन्‍होंने केंद्र की भाजपा नीत सरकार के तीन साल के कार्यकाल के दौरान हासिल सभी उपलब्धियों को लगभग नकारने के अंदाज में आड़े हाथों लिया। उन्‍होंने जो भी कहा वह

सामाजिक-आर्थिक प्रगति को बुलेट ट्रेन से मिलेगी रफ्तार

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने अहमदाबाद में मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल (एमएएचएसआर) परियोजना की आधारशिला रखी। इसके साथ ही भारत 20 देशों के एक खास समूह में शामिल हो गया। यह परियोजना लोगों के लिए सुरक्षा, गति और बेहतर सेवा के एक नये युग का सूत्रपात करेगी। माना जा रहा है कि विश्व में तीसरा सबसे लंबा नेटवर्क होने का फायदा उठाते हुए भारतीय

भारत-जापान के बीच बढ़ रही नजदीकी से परेशान चीन

भारत और जापान के सम्बन्ध शुरू से अच्छे रहे हैं। जापान में बौद्ध धर्म का व्यापक प्रभाव होने के कारण दोनों देशों के बीच संबंधों में और भी प्रगाढ़ता आई है। भारत की आजादी के लिये किये जा रहे संघर्ष में भी जापान की शाही सेना ने सुभाष चंद्र बोस की मदद की थी। आजादी मिलने के बाद से दोनों देशों के बीच सौहाद्र्पूर्ण संबंध रहे हैं, जबकि भारत और जापान दोनों देशों के चीन के साथ कमोबेश तल्खी वाले रिश्ते रहे हैं। इस

मोदी विरोध के चक्कर में विदेशी धरती पर देश की प्रतिष्ठा को क्षति पहुंचा बैठे, राहुल गांधी !

राहुल गांधी अपनी गोपनीय विदेश यात्रओं के लिए चर्चित रहे हैं। शुरू में कांग्रेस के प्रवक्ता कहते थे कि वह चिंतन-मनन के लिए विदेश गए हैं। लेकिन, लौटने के बाद चिंतन मनन का कोई प्रभाव नही दिखता था। राहुल पुराने अंदाज में ही रहते थे। इसके बाद प्रवक्ताओं ने इस दलील से तौबा कर ली। फिर उनके विदेश जाने पर बताया जाने लगा कि वह अपनी नानी से मिलने गए हैं। लेकिन, इसबार किसी को कुछ कहना नहीं

राजनीतिक जमीन के साथ-साथ बोलने की तमीज भी खोती जा रही है कांग्रेस !

कांग्रेस के उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी ने महिला पत्रकार गौरी लंकेश हत्‍याकांड के मामले पर बयानबाजी करने में जिस प्रकार की जल्‍दबाजी दिखाई व बड़बोलापन प्रकट किया उससे उनकी राजनीतिक नासमझी पर मुहर ही लगी है। उन्‍होंने इस मामले का पूरी तरह राजनीतिकरण करते हुए भाजपा व आरएसएस पर आधारहीन होकर आरोप लगाए। उन्‍होंने कहा कि भाजपा व आरएसएस के खिलाफ जो भी बोलता है, उस पर हमला