लगातार मिल रही पराजयों से तो सबक ले आम आदमी पार्टी
आम आदमी पार्टी को शायद अब रुकना चाहिए। सांस लेकर यह सोचना चाहिए कि क्या दिल्ली में मिले मैंडेट का उसने सही उपयोग किया है? यह सोचने पर केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी को समझ आएगा कि दिल्ली में मिले जनादेश का उन्होंने अपने अबतक के शासन में केवल दुरूपयोग किया है। केवल केंद्र सरकार और उपराज्यपाल से बेवजह की खींचतान और अपने लोगों को
आम आदमी पार्टी के ख़त्म होते जनाधार से बौखलाहट में केजरीवाल
आम आदमी पार्टी अपना जनाधार तेज़ी से खोती जा रही है। यदि इस पार्टी को अपना वजूद बचाए रखना है, तो उसे नाटकीयता और भ्रामक बातों, दावों, नारों से ऊपर उठना होगा। याद कीजिये 2014 में दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने के बाद सत्ता छोड़कर जब अगले साल केजरीवाल दोबारा सत्तारूढ़ हुए तब उनके बड़े-बड़े वादों को देखते हुए दिल्ली के मतदाताओं ने उन्हें पूर्ण बहुमत दिया।