आपातकाल : जब सत्ता में बने रहने के लिए लोकतंत्र को ठेंगे पर रख दिया गया!
वर्ष 1975 में आज के ही दिन सत्ता के कुत्सित कदमों ने देश में लोकतंत्र को कुचल दिया था और लोकतंत्र के इतिहास में यह एक काले दिन के रूप में दर्ज हो गया। लोकतंत्र के चारों स्तंभों विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका व प्रेस पर घोषित व अघोषित पहरा बैठा दिया गया। लोकतंत्र को ठेंगे पर रखकर देश को आपातकाल की गहरी खाई में धकेलने के पीछे महज किसी भी