राफेल प्रकरण : सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद क्या देश से माफी मांगेंगे राहुल गांधी?
आखिर राफेल मामले पर सुप्रीम कोर्ट का आ गया। सुप्रीम कोर्ट ने राफेल विमान खरीद मामले में फैसला देते हुए स्पष्ट कहा कि इस सौदे की प्रक्रिया में कोई त्रुटि या कमी नहीं है। इस निर्णय के साथ ही केंद्र सरकार को ना केवल राहत मिली बल्कि विपक्ष के उन तमाम बेसिर पैर के आरोपों को भी करारा जवाब मिला है, जिनके जरिये मोदी सरकार को लगातार कोसा जा रहा था। असल
मिशेल के प्रत्यर्पण ने कांग्रेस की धड़कने बढ़ा दी हैं!
शीशे के घरों में रहने वालों को दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकने चाहिए। कांग्रेस पिछले चार वर्षों से यही कर रही है। कुछ दिन तक उसने राफेल डील पर घोटाले का आरोप लगाया था। लेकिन बिना तथ्यों के लगाए गए आरोप ने कांग्रेस की फ्रांस तक जगहँसाई कराई। राहुल द्वारा लगाए गए आरोपों का फ़्रांस तक ने खण्डन किया
अगस्ता-वेस्टलैंड : मिशेल के प्रत्यर्पण से कांग्रेसी खेमे में इतनी बौखलाहट क्यों है?
इस सप्ताह हुए एक नाटकीय घटनाक्रम के तहत अगस्ता वेस्टलैंड मामले के बिचौलिये क्रिश्चियन मिशेल को मंगलवार की रात यूएई से प्रत्यर्पित करके नई दिल्ली लाया गया। निश्चित ही यह मोदी सरकार की एक बड़ी सफलता है। इस सफलता की अहमियत इससे प्रकट होती है कि भगोड़े कारोबारी विजय माल्या ने स्वत: ही सहमकर ट्विट किया कि वो बैंकों का सौ प्रतिशत पैसा वापस
सिद्धू को समझना चाहिए कि वे पंजाब के स्थानीय निकाय मंत्री हैं, देश के विदेश मंत्री नहीं!
क्रिकेटर से राजनेता बने कांग्रेस की पंजाब सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू इन दिनों पाकिस्तान में कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी और लगाव दिखाने लगे हैं। मशहूर तो वह अपने हंसी ठहाके के लिए पहले भी थे, अब अपने पाकिस्तान प्रेम को लेकर उनकी चर्चा हो रही है।
मोदी को पीएम पद की गरिमा का ज्ञान देने से पहले अपना इतिहास देखें, मनमोहन सिंह!
देश में चुनाव का मौसम है और नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप चरम पर हैं। संप्रग सरकार में बतौर प्रधानमंत्री बड़े-बड़े घोटालों पर मौन धारण किए रहने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी बीच-बीच में बोलने लगे हैं। हाल में ही कांग्रेस नेता मनीष तिवारी की पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को भाषा और पद की गरिमा का ध्यान रखने की नसीहत दी।
मौका देखकर चेहरा बदलने में माहिर है कांग्रेस
मध्य प्रदेश चुनाव में कांग्रेस की तरफ से कमलनाथ प्रदेशाध्यक्ष की सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर रहे हैं। ऐसे में उनके किसी भी कथन या कार्य को हल्के में नहीं लिया जा सकता। लेकिन अब उनका एक वीडियो कांग्रेस के लिए मुसीबत बन रहा है, क्योंकि यह उंसकी चुनावी रणनीति की कलई खोलने वाला है।
हताशा और बौखलाहट में प्रधानमंत्री के प्रति भाषाई अशिष्टता पर उतरी कांग्रेस
राजनीति में सहमति-असहमति और आरोप-प्रत्यारोप के होने से इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन असहमति या आरोप की अभिव्यक्ति करते हुए आवश्यक होता है कि भाषाई शुचिता के प्रति सचेत रहा जाए। इस संदर्भ में भारतीय राजनीति की स्थिति चिंतित करने वाली है।
‘राहुल गांधी की भाषा सुनकर हैरानी होती है कि वे एक राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष हैं’
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इन दिनों कुछ ज़्यादा ही मुखर दिखाई दे रहे हैं। लेकिन यदि इस पर ध्यान दिया जाए कि वे क्या बोल रहे हैं, तो हैरानी होगी कि वे एक राष्ट्रीय पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। वे ना तो कुछ नया बोल रहे हैं, ना मौलिक, ना तथ्य परक और ना ही ठोस। यहां तक भी ठीक था। आखिर परिवारवादी व्यवस्था से निकले तथाकथित नेता के पास बोलने के लिए कुछ जमीनी
कांग्रेस इस कदर मुद्दाहीन हो गयी है कि उसे हर मामले में बस राफेल ही दिख रहा है!
सीबीआई में दो शीर्ष अधिकारियों के बीच विवाद हुआ। दोनों ने एक दूसरे पर आरोप लगाए थे। इस विवाद की सच्चाई जानने के लिए जांच की आवश्यकता थी। ये अपने पदों पर कार्य करते रहे और वही संस्था जांच करे, यह हास्यास्पद होता। इसलिए सरकार ने सर्वश्रेष्ठ विकल्प चुना। दोनों अधिकारियों को छुट्टी पर भेजा। नए निदेशक की नियुक्ति की। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे गलत
गुजरात में अपने ही बुने जाल में खुद फंस गयी कांग्रेस
गुजरात में कांग्रेस का दांव उल्टा पड़ गया है। उसने उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों पर हमले से राज्य सरकार को घेरने की योजना बनाई थी, लेकिन भद्द उसीकी पिट रही है। एक आपराधिक घटना को ये ऐसा रूप देने में लगे थे, जिसकी गूंज उत्तर भारत तक सुनाई देने लगी थी। लेकिन सच्चाई जल्दी ही सामने आ गई।