भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देते बैंक
कर्ज वितरण में तेजी आने, सीडी अनुपात के सकारात्मक रहने और बैंकों के वित्तीय प्रदर्शन में बेहतरी आने से अर्थव्यवस्था की मजबूती के ही संकेत मिल रहे हैं।
आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने की पहल
भले ही मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने सर्वसम्मति से 6 फरवरी, 2020 की मौद्रिक समीक्षा में रेपो दर को 5.15 प्रतिशत पर यथावत रखने का फैसला किया, लेकिन दूसरे उपायों से केंद्रीय बैंक, बैंकों को सस्ती पूँजी उपलब्ध करायेगा। रिजर्व बैंक का कहना है कि भविष्य में जरूरत पड़ने पर वह दरों में कटौती भी कर सकता है। अभी मुद्रास्फीति की दर 7.4 प्रतिशत है और ऐसी
पीएमसी ग्राहकों को राहत देने की पहल
दो दिसंबर को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में बताया कि पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक के 78 प्रतिशत खाताधारक अपना पैसा निकाल चुके हैं। धन निकासी की सीमा को भी बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दिया गया है। बीमारी, शादी एवं अन्य गंभीर स्थितियों में खाताधारक खाते से एक लाख रुपये भी निकाल सकते हैं। सरकार द्वारा राहत देने से बैंक के अधिकांश छोटे जमाकर्ताओं की समस्याओं का समाधान हो गया है।
उधारी दर निर्धारण की नयी व्यवस्था से कर्ज सस्ता करने में जुटा आरबीआई
नई व्यवस्था के तहत बैंक उधारी दर का निर्धारण खुद से नहीं कर सकेंगे। अब रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दर में किये जा रहे बदलाव के अनुसार बैंकों की उधारी दर में कमी या बढ़ोतरी होगी। जब रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत में कटौती की जायेगी तो स्वतः ही उधारी दर में भी कमी आ जायेगी और जब नीतिगत दर में बढ़ोतरी की जायेगी तो उधारी दर में बढ़ोतरी हो जायेगी।
महंगाई दर में कमी आने से कर्ज सस्ता होने के आसार
प्रमुखतः ईंधन की कीमत में गिरावट की वजह से जुलाई महीने में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) दर कम होकर 3.15 प्रतिशत हो गई, जो जून महीने में 3.18 प्रतिशत थी। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक को पहले से अंदाजा था कि सीपीआई या खुदरा महँगाई दर में कमी आयेगी। इसीलिए, केंद्रीय बैंक ने हालिया मौद्रिक समीक्षा में रेपो दर में कटौती की। माना जा रहा है कि आने वाले महीनों में भी सीपीआई निचले स्तर पर बनी रहेगी।
नीतिगत दरों में कटौती से आमजन को राहत मिलने के आसार
शक्तिकांत दास के अनुसार नीतिगत दरों में कटौती का फायदा ग्राहकों को देना ज्यादा जरूरी है, अन्यथा कटौती का मकसद बेकार हो जायेगा। पंजाब नेशनल बैंक के प्रबंध निदेशक सुनील मेहता के अनुसार बैंकों ने दरों में 10 से 12 आधार अंक की कटौती की है और नीतिगत दरों में और कटौती करने और नकदी की स्थिति में सुधार होने से बैंक कर्ज की दरों में और भी कटौती कर सकते हैं।
स्वर्ण मौद्रिकरण योजना में हुआ बदलाव, काले धन को सोने में खपाने वालों की आएगी शामत !
रिजर्व बैंक ने स्वर्ण मौद्रिकरण योजना को बेहतर बनाने के लिये एक अधिसूचना जारी करके कहा है कि अल्पकालीन जमा को बैंक के बही-खाते पर देनदारी के अनुरूप माना माना जायेगा। यह जमा, मनोनीत बैंकों में एक से तीन साल के लिए किया जाएगा। अन्य अवधि के लिए भी जमा की अनुमति होगी। यह एक साल तीन महीने, दो साल चार महीने पाँच दिन आदि अवधि
रिज़र्व बैंक की स्वायत्तता को लेकर बेजा हंगामा
नोटबंदी के मुद्दे पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की स्वायत्तता को लेकर इन दिनों खूब सवाल उठ रहे हैं । रिजर्व बैंक के कुछ पूर्व गवर्नर, नोबेल सम्मान से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन आदि रिजर्व बैंक की स्वायत्तता और उसकी आजादी को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं । इनका कहना है कि विमुद्रीकरण के दौरान सरकार ने रिजर्व बैंक के कामकाज में दखल दिया और सरकार के कहने पर ही बैंक के बोर्ड ने छियासी