जनता कर्फ्यू : यह कोरोना से बचाव ही नहीं, आपदा में देश की एकजुटता का प्रमाण भी है
कोरोना वायरस के रूप में आज मानवता के समक्ष एक वैश्विक संकट आन खड़ा हुआ है। जहां दुनिया भर के देश इससे जूझ रहे हैं, वहीं भारत में इस वायरस के संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है। इस महामारी के खतरे से बचाव के लिए आज 22 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता कर्फ्यू का आह्वान किया है। मोदी ने दो दिन पहले राष्ट्र के नाम दिए संदेश में पूरे देश से यह अपील
मोदी सरकार की दो रेल परियोजनाएं जो उत्तराखंड के लिए युगांतरकारी सिद्ध होंगी
रेलवे लाइन के निर्माण के बाद उत्तराखंड जहां परिवहन कनेक्टविटी की दृष्टि से लंबी छलांग लगा सकेगा, वहीं पर्यटकों व तीर्थयात्रियों के लिए आवागमन का एक सुलभ व सस्ता साधन उपलब्ध हो सकेगा। रेल यातायात शुरू होने पर ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक की दूरी, जिसे पूरा करने में सड़क मार्ग से लगभग 6 घंटे का समय लगता है, वो मात्र 2 घंटे में पूरी हो सकेगी। अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से जुड़े उत्तराखंड में इस परियोजना का सामरिक कारणों से बेहद महत्व है।
मोदी राज में हो रहा रेलवे का कायाकल्प, विश्वस्तरीय बनती जा रही भारतीय रेलवे
इसमें कोई दो राय नहीं है कि भारतीय रेलवे का अब धीरे-धीरे कायाकल्प होना शुरू हो गया है। 2014 से पहले रेलवे एक बोझिल और जटिल क्षेत्र था जिससे जुड़ी समस्याओं का अंबार ही सामने आ पाता था लेकिन सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं होता था। यदि हम ऐसा कहें कि मोदी सरकार ने भारतीय रेलवे को नए सिरे से निर्मित और परिभाषित किया है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी
परिवहन के क्षेत्र में एक नयी बिजली क्रांति लाने में जुटी मोदी सरकार
बिजली से चलने वाले वाहन अर्थव्यवस्था के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी मुफीद साबित होंगे। इसी प्रकार इलेक्ट्रिक वाहन पेरिस जलवायु समझौते की शर्तों के अनुपालन में भी मददगार बनेंगे। इतना ही नहीं इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ आने वाली स्वचालन तकनीक से सड़क दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी।
रेलवे के आधुनिकीकरण में कामयाब हो रही मोदी सरकार
देश के एकीकरण में अहम भूमिका निभाने और अर्थव्यवस्था की धमनी होने के बावजूद भारत में रेलवे का इस्तेमाल सही ढंग से नहीं हुआ। आजादी के बाद से ही रेलवे का इस्तेमाल राजनीति चमकाने के लिए किया जाने लगा। यही कारण है कि रेल सेवाओं के मामले में भारी असंतुलन फैला। 1990 के दशक में शुरू हुई गठबंधन की राजनीति में इस क्षेत्रीय असंतुलन ने समस्या का रूप ले लिया।
श्री रामायण एक्सप्रेस : धार्मिक पर्यटन को नए आयाम देने की दिशा में रेलवे की अनूठी पहल
श्री रामायण एक्सप्रेस नाम की यह ट्रेन, एक नई प्रकार की टूरिस्ट ट्रेन है। अपने नाम के ही अनुसार यह ट्रेन देश के उन सभी प्रमुख तीर्थ स्थानों को अपनी यात्रा में शामिल करेगी जिनका कि रामायण में उल्लेख है। इसमें श्रीराम के जन्म स्थान अयोध्या से लेकर दक्षिण भारत में रामेश्वरम तक प्रमुख तीर्थ स्थान शामिल होंगे। इस नई ट्रेन में यात्रा करने के लिए लोगों में काफी उत्साह
‘रेलवे के लिए मोदी सरकार ने साढ़े तीन साल में तीस साल के बराबर काम किया है’
इसबार बजट में रेलवे को लेकर कई महत्वपूर्ण एलान हुए हैं, जिनका असर आने वाले वक़्त में देखने को मिलेगा। लेकिन, गौर करें तो मोदी सरकार ने पिछले लगभग साढ़े तीन साल में ऐसे कई कदम उठाए हैं जो रेलवे का कायाकल्प करने वाले हैं। प्रधानमंत्री ने रेलवे को एक ऐसा इंजन बनाने का लक्ष्य रखा है जो नए भारत की दिशा में देश की विकास यात्रा को नई गति प्रदान करेगा। देखा जाए तो मोदी सरकार ने महज साढ़े तीन
‘बुलेट ट्रेन का विरोध वैसे ही है, जैसे राजधानी एक्सप्रेस और मेट्रो का हुआ था’
वामपंथी सोच वाले नेता-बुद्धिजीवी भले ही उदारीकरण-भूमंडलीकरण की नीतियों का विरोध करें लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि इसने देश की तस्वीर बदल दी। कारोबारी सोच, शॉपिंग मॉल, ब्रांडेड सामान, कार, बस, बाइक के नए-नए मॉडल, हाईवे, शानदार होटल, हर हाथ में मोबाइल, चमचमाते हवाई अड्डे उदारीकरण की ही देन हैं। दुर्भाग्यवश देश की धमनी मानी जाने वाली रेल की हालत में बदलाव होना अभी बाकी
रेल मंत्रालय ने की यात्री बीमा की शुरुआत, रेल यात्रियों को एक रूपये में मिलेगा दस लाख तक का बीमा!
इस वर्ष के रेल बजट में केन्द्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने रेल यात्रियों को बीमा देने का ऐलान किया था, इस दिशा में अब रेलवे द्वारा शुरुआत कर दी गई है। बीमा देने की यह व्यवस्था एक सितम्बर से लागू हो गई है, जिसके तहत यात्रियों को महज एक रूपये में दस लाख तक की अधिकतम राशि तक का बीमा देने की व्यवस्था की गई है। यह एक रूपये का शुल्क यात्री के टिकट में जुड़ेगा।
रेल बजट के आम बजट में शामिल होने से होगा रेलवे का तीव्र विकास, ख़त्म होंगी समस्याएं!
गणतंत्र के रूप में भारत का पहला बजट जब आया उस वक्त 1950-51 में रेलवे का राजस्व…