अनुच्छेद-370 हटने के बाद तेजी से बदल रहा जम्मू-कश्मीर, आतंकी घटनाओं में आई कमी
अनुच्छेद-370 हटने के बाद जो अनेक सकारात्मक संकेत हमें देखने को मिल रहे हैं, यही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के विकास को सुनिश्चित करेंगे।
जम्मू-कश्मीर में संगठित लूट पर रोक लगाने में कामयाब रही मोदी सरकार
मोदी सरकार की कोशिशों का ही नतीजा है कि स्वायत्तता, स्वशासन व जिहाद का झुनझुना अब जम्मू-कश्मीर में किसी को नहीं भा रहा है।
चीन को खदेड़ने के लिए पंद्रह मिनट मांगने वाले राहुल की कांग्रेस साठ सालों तक क्या कर रही थी ?
चीन को खदेड़ने के लिए 15 मिनट मांगने वाले राहुल गांधी को पहले पिछले साठ सालों में कांग्रेसी सरकारों द्वारा की गई भूलों पर देश से माफी मांगनी चाहिए।
अटल सुरंग : विश्व की इस सबसे बड़ी सुरंग का महत्व भी बहुत बड़ा है
बीते रोज दुनिया की सबसे बड़ी ‘अटल सुरंग’ को प्रधानमंत्री मोदी ने देश को समर्पित कर दिया। इसका सपना अटल जी ने देखा था, इसलिए इसको उन्हीका नाम दिया गया है।
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के वंचितों को मोदी सरकार से मिला न्याय
अब जम्मू-कश्मीर-लद्दाख के अनुसूचित जातियों और जनजातियों को केन्द्रीय कानून के आधार पर आरक्षण का लाभ मिल सकेगा जिससे उन्हें काफी राहत मिलने वाली है और उनके सशक्तिकरण में यह मील का पत्थर साबित होने वाला है।
जम्मू-कश्मीर में बह रही बदलाव की बयार
अनुच्छेद 370 के हटने के बाद जम्मू-कश्मीर की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक स्थितियों से लेकर वहाँ के शासन-प्रशासन और उनकी दैनिक कार्यशैली में बड़े बदलाव आए हैं।
जम्मू-कश्मीर: अनुच्छेद-370 की समाप्ति से टूटी आतंकवाद की कमर, पनप रही विकास की नयी संभावनाएं
370 में हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद में 36% की कमी आई है। गत वर्ष जनवरी से जुलाई के बीच 188 आतंकी गतिविधियाँ दर्ज की गई जबकि इसी अवधि में इस वर्ष 120 आतंकी गतिविधियाँ दर्ज की गई।
अनुच्छेद-370 हटने के बाद बदल रही जम्मू-कश्मीर की तस्वीर
यह कहना गलत नहीं होगा कि इस एक साल में कश्मीर की छवि इसकी पूर्ववर्ती छवि से विपरीत बनती जा रही है। जो क्षेत्र विध्वंस, पिछड़ेपन का पर्याय बन गया था, वह अब प्रगति के सोपान चढ़ रहा है।
चीन तो पीछे हट गया, कांग्रेस राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर सतही राजनीति करने से कब पीछे हटेगी?
भारत-चीन के बीच सीमा पर चल रहा गतिरोध चीन के पीछे हटने के साथ समाप्त हो चुका है और डोकलाम प्रकरण के बाद एकबार फिर साबित हो गया है कि ये नए दौर का भारत है, जो अपनी राष्ट्रीय अखंडता से कोई समझौता नहीं करेगा।
प्रधानमंत्री मोदी के लद्दाख दौरे से साबित हो गया कि ये 1962 का भारत नहीं, 2020 का ‘नया भारत’ है
1962 के विपरीत प्रधानमंत्री मोदी न सिर्फ सेना को अत्याधुनिक हथियारों से लैस कर रहे हैं बल्कि सेना को स्थिति से निपटने के लिए पूरी छूट भी दे रखी है।