‘बिहार अब लालू के लालटेन युग के अंधेरे से निकलकर एनडीए के विकास की रोशनी में चल रहा है’
बिहार अब लालू प्रसाद यादव एवं जनता दल के लालटेन युग वाले अंधेरे से बाहर निकल चुका है और नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की रोशनी में चल रहा है।
अगर राहुल भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं, तो ममता-माया-अखिलेश जैसों के घोटालों पर क्यों नहीं बोलते?
क्या राहुल रॉफेल डील से सचमुच असंतुष्ट हैं? अगर हाँ, तो जैसा कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, उन्हें ठोस सबूत पेश करने चाहिए। अगर वो कहते हैं और मानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अनिल अंबानी को 30 हज़ार करोड़ रुपए दिए हैं तो इसे सिद्ध करें, कहीं न कहीं किसी ना किसी खाते में पैसों का लेनदेन दिखाएं।
राशन घोटाला : क्या अगला लालू बनने की राह पर हैं केजरीवाल !
दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार का तो जैसे विवादों से चोली-दामन का साथ हो गया है। एक विवाद के सुर जरा थमते नहीं कि अगला विवाद कोहराम मचा देता है। अभी पार्टी और सरकार के मुखिया अरविन्द केजरीवाल द्वारा अपने हवा-हवाई आरोपों के लिए लोगों से घूम-घूमकर माफ़ी मांगने के कारण पार्टी की फजीहत हो ही रही थी कि तभी कैग की रिपोर्ट में दिल्ली में राशन घोटाले का मामले ने आप सरकार की हवाइयां
महागठबंधन में मची अंतर्कलह में नया कुछ नहीं, ऐसे गठबंधनों का यही हश्र होता है
नीतीश कुमार की छवि एक ईमानदार राजनेता की रही है, लेकिन सत्ता और महत्वाकांक्षा को हासिल करने की चाहत ने उन्हें महागठबंधन का हिस्सा बनने के लिये मजबूर कर दिया, जबकि राजद के मुखिया लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार का ईमानदारी से दूर-दूर तक का नाता नहीं है। बावजूद इसके लालू प्रसाद यादव अपने परिवार को किसी भी तरह से सत्ता की कुर्सी पर बिठाकर रखना चाहते हैं। उनके परिवार के
परिवार और राजनीति के बीच अंतर का आदर्श स्थापित करते प्रधानमंत्री मोदी
गत दिनों भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा आगामी विधानसभा चुनाव के संदर्भ में कहा गया कि भाजपा इन चुनावों में अवश्य जीत हासिल करेगी, लेकिन इसके लिए मेहनत की आवश्यकता है। साथ ही, उन्होंने यह हिदायत भी दी कि पार्टी नेता अपने परिवार के सदस्यों के लिए टिकट न मांगें। इस बयान के गहरे और व्यापक निहितार्थ हैं, जिन्हें समझने की आवश्यकता है। दरअसल आज देश
यूपी में आमने-सामने आए लालू-नीतीश, क्या होगा महागठबंधन का भविष्य ?
जैसे-जैसे यूपी चुनाव नज़दीक आ रहा है, वैसे-वैसे सूबे में सियासी सरगर्मियां तेज होती जा रही हैं। लेकिन, इस यूपी चुनाव की सरगर्मी में अभी एक ऐसा समीकरण बना है, जिससे इसीसे सटे राज्य बिहार की सियासत में एक बड़े संभावित परिवर्तन का संकेत मिल रहा है। गौरतलब है कि बिहार में कभी एक-दूसरे के कट्टर राजनीतिक विरोधी रहे लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के बीच गठबंधन की सरकार चल रही
सत्ता के लोभ में ‘जंगलराज’ के सामने हथियार डाल दिए हैं नीतीश!
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कल तक ‘सुशासन बाबू’ के तौर पर पहचाने जाते थे, लेकिन अब उनकी यह छवि पीछे छूटने लगी है। बिहार में अब सुशासन की चर्चा नहीं, अपराध की बहार है। शहाबुद्दीन की वापसी ने इस बात पर मुहर लगा दी है कि बिहार में अपराध पर लगाम लगाने में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नाकामयाब साबित हो रहे हैं। बिहार सरकार में शामिल राजद के विधायकों/मंत्रियों ने जिस तरह
‘सुशासन’ के मुंह पर ‘जंगलराज’ का झन्नाटेदार तमाचा
यह लेखक जिस वक्त और जहां बैठकर यह बातें टाइप कर रहा है, उसके ठीक एक दिन पहले इस जगह से केवल दो किमी दूर, राजधानी पटना में सरेशाम एक प्रेस फोटोग्राफर के बेटे को गोली मार दी गयी है। उसी दिन दो और हत्याएं महज पांच किलोमीटर के दायरे में हुई हैं। इसी ख़बर
फिर जंगलराज के साये में बिहार
उमेश चतुर्वेदी यह संयोग ही है कि छह मई को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दावा किया कि उनकी बहुचर्चित शराबबंदी योजना से राय में अपराध की घटनाओं में 27 फीसद की कमी आ गई, इसके ठीक दो दिन बाद उनके ही एक एमएलसी के बेटे ने महज रास्ता ना देने के चलते एक