‘भारतीय कम्युनिस्टों का चरित्र ऐसा है कि वे किसी के सगे नहीं हो सकते सिवाय अपने स्वार्थों के’
वो वामपंथी उदारवादी जो असहमत होने के अधिकार को संविधान द्वारा दिया गया सबसे बड़ा अधिकार मानते हैं, वही दूसरों की असहमति को स्वीकार नहीं कर पाते।
पद्मनाभस्वामी प्रकरण : न्याय और आस्था दोनों का सम्मान करने वाला है सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
ये मामला न्यायपालिका के पास था, इसलिए निष्पक्ष न्याय हुआ, अन्यथा केरल की वामपंथी सरकार के स्वामित्व में जाकर इस मंदिर की क्या दशा होती, यह कहना कठिन है।
भारत-चीन तनाव के बीच एकबार फिर उजागर हुआ वामपंथियों का चीनपरस्त चेहरा
1962 में चीन के आक्रमण के समय वामपंथियों ने खुलेआम चीन का साथ दिया और बीजिंग नजदीक, दिल्ली दूर का नारा लगाया। यह उनका असली चेहरा था।
बात-बात में तानाशाही का रोना रोने वाले वामपंथी चीन के विस्तारवादी रुख पर चुप्पी क्यों साध लेते हैं?
जो वामपंथी कला-संस्कृति जैसे क्षेत्रों में भी तथाकथित साम्राज्यवाद आदि का आए दिन हौव्वा खड़ा किए रहते हैं, वे चीन की विस्तारवादी रवैय्ये पर एक शब्द भी नहीं बोलते!
उत्तर प्रदेश लौटकर आए मजदूरों ने उतार दिया कई चैनलों के चेहरे से निष्पक्षता का मुखौटा
माय गव इंडिया के यूट्यूब चैनल पर पलायन कर रहे लगभग आधा दर्जन मजदूरों का अनुभव सुनने को मिला। इस वक्त जब तन्हाई और अवसाद की काली छाया चारों तरफ कोविड 19 के इस दौर में पसरी है, ऐसे समय में यह अनुभव नई ऊर्जा से भर देने वाला है।
पिंजरा तोड़ अभियान से उपजते सवाल
छोटे-छोटे शहरों से बड़े सपने लेकर देश की राष्ट्रीय राजधानी आने वाले लड़के-लड़कियों को वामपंथी ताक़तें किस क़दर बहलाती-फुसलाती हैं, उसकी कहानी आप इस संगठन के बनने के पीछे की कहानी को जानकर समझ सकते हैं।
भाजपा के भय से वायनाड गए राहुल के पीछे पड़े वामपंथी
बीच लड़ाई में अगर सेनापति मैदान छोड़कर किनारा कर ले तो उस मुकाबले का परिणाम आप सहज सोच सकते हैं। बात यहाँ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी की हो रही है, जिन्होंने चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाले अमेठी की सीट के साथ ही एक ऐसी सीट से भी चुनाव लड़ने का मन बनाया है जहाँ उनके हार की सम्भावना नहीं के बराबर कही जा रही।
उस शहरी नक्सलवाद को पहचानिए, जो आपके इर्द-गिर्द मुखौटा लगाकर मौजूद है!
पिछले दिनों वामपंथी विचारधारा से जुड़े पांच बुद्धिजीवियों की गिरफ़्तारी के बाद एक शब्द की बहुत चर्चा हो रही है- शहरी नकसली। महाराष्ट्र पुलिस ने कई शहरों में छापेमारी करके इन बुद्धिजीवियों को नक्सलियों से संपर्क रखने के संदेह में हिरासत में लिया है। पिछले साल भीमा कोरेगाँव में हुई हिंसा की जांच के सिलसिले में ये गिरफ्तारियां हुई हैं। गिरफ्तार किये गए लोगों में कोई
सबरीमाला : ‘कोर्ट के फैसले का विरोध बस पुरुष नहीं कर रहे, हमारी माताएं-बहनें भी कर रही हैं’
हमारे देश में सनातन धर्म से जुड़े धार्मिक स्थलों पर पारंपरिक तौर तरीकों से पूजा पद्धतियों का चलन रहा है, जिसमें स्थानीय संस्कृति, दशकों से चली आ रही विशिष्ट परंपरा भी निहित है। बीते कुछ दिनों से देश में केरल के सबरीमाला मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से विवाद पैदा हो गया है।
वामपंथी कार्यकर्ताओं की नजरबंदी बढ़ने से साबित होता है कि पुणे पुलिस के आरोप बेदम नहीं हैं!
भीमा कोरेगांव हिंसा, प्रधानमंत्री मोदी की हत्या की साजिश और शहरी नक्सलवाद के मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट की अहम सुनवाई हुई। इसमें शीर्ष कोर्ट ने नक्सली संबंध के आरोपी वामपंथी कार्यकर्ताओं को खासा झटका देते हुए इनकी नजरबंदी की मियाद भी बढ़ा दी और एसआईटी जांच की मांग भी सिरे से खारिज कर दी। कोर्ट के निर्णय के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री